परिवार का साथ ऊर्जा देता है
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने 15 साल पहले एक फिल्म वाटर बॉर्न की थी। ये पहली फीचर फिल्म थी, जो गूगल वीडियो स्टोर पर उपलब्ध थी। उस वक्त लोगों ने इसे बेवकूफी बताया था। मुझे मालूम था इसका वक्त भी आएगा। उन्होंने कहा कि जिंदगी और लोगों में मेरी बहुत दिलचस्पी है। मेरे माता-पिता से मैंने सीखा कि दिमाग पर नियंत्रण होना चाहिए। फैमिली और दोस्तों का सहारा बहुत जरूरी होता है। यदि आपको कोई चीज तकलीफ देती है, तो जरूर साझा करिए। नहीं तो ऐसी बातें नासूर बन जाती हैं। अपनों का साथ ही ऊर्जा देता है।
शादी के बाद सरनेम बदलना महिला की च्वॉइस
एक्सीडेंट के बाद तुरंत शूटिंग में सक्रिय होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब्बा कहा करते थे कि दर्द अपना काम करता है और मैं अपना काम करता हूं… इससे ही मुझे ताकत मिलती है। उन्होंने कहा कि मैं एक कम्युनिस्ट परिवार से हूं। हम बहुत छोटे से घर में रहते थे। जहां पर आठ लोगों के बीच एक टॉयलेट हुआ करता था। हमारे घर बड़े-बड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। फैज साहब भी हमारे घर आते थे। फिराक गोरखपुरी, बेगम अख्तर, जोश मलीहाबादी जैसी शख्सियतों की घर में महफिलें जमती थीं। फैज साहब से भी घर जैसे रिश्ते थे। जब कोई आता था, तो हमें पहले ही पता चल जाता था, क्योंकि मां के हाथ का कड़ा उतर जाता था। पैसे जुटाने के लिए उसे गिरवी रख दिया जाता था।
शादी के बाद आजमी सरनेम न लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि न तो मैंने और न ही जावेद साहब ने इसके बारे में कभी सोचा। शादी के बाद नाम या अपना सरनेम बदलने की च्वॉइस औरत पर छोड़ देनी चाहिए। मशहूर शायर कैफी आजमी के बेटी होने के बावजूद शायर क्यों नहीं बनी? इस सवाल पर कहा कि वे कुछ भी लिखने के बाद सबसे पहले मुझे सुनाते थे। यदि मुझे कोई बात पसंद नहीं आती थी, तो वे उसे बदल भी देते थे।