वर्ष 2014 में अधिसूचना जारी होने के बाद 2015 में पंचायत चुनाव हुए थे। इस दौरान जो आरक्षण था उसी आरक्षण पर एक बार फिर से चुनाव कराया जाएगा। ऐसे में उन लोगों को फायदा हो गया जिनकी सीट पुरुष थी और 2019 में वार्ड आरक्षण के बाद महिला हो गई थी। सरकार के इस फैसले से पंचायतों में काफी कुछ समीकरण बदलेंगे या ये कहें के पुराने ही रहेंगे। मतदाता सूची में बदलाव होने से वोटर के गांव भी बदल सकते हैं। ये 13 गांव की नई मतदाता सूची बनने के बाद पता चलेगा।
पुराने लोगों को फायदा, यहां फंस सकता है पेंच पंचायत का रिजर्वेशन चक्रिय होता है। पंचायत ग्रामीण विकास के नोटिफिकेशन में 2014 की स्थिति में चुनाव होंगे। ऐसे में रिजर्वेशन का चक्र पूरा नहीं हो पाएगा। जानकारों की मानें तो इन परिस्थितियों में मामला कोर्ट में जाकर फंस सकता है। 2019 में हुए वार्ड आरक्षण के बाद काफी कुछ बदलाव हुए थे। खुद जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर का वार्ड पुरुष से महिला हो गया था, पुरानी स्थिति में चुनाव कराने पर वह फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ सकेंगे। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं, जिनमें पंचायतों में पुराने लोगों को काफी फायदा होगा।