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भोपाल

पापा के मोटिवेशन ने दिलाई सफलता

फादर्स डे आज – हर कदम पर पापा का मिला साथ, सफलता के लिए हमेशा बढ़ाया हौसला

भोपालJun 16, 2019 / 01:52 pm

hitesh sharma

father's day

पापा के मोटिवेशन ने दिलाई सफलता

भोपाल । जीवन में पेरेन्ट्स का रोल सबसे अहम होता है। जीवन में हर छोटी-बड़ी घटना से लडऩे की बात आती है तो पिता डंटकर अपने बच्चों के साथ खड़े रहते हैं। पिता अपे बच्चों के जीवन को संवारने के लिए नींव की तरह होते हैं, जो कभी प्यार से तो कभी सख्त होकर अपने बच्चों का करियर संवारते हैं। फादर्स डे के मौके पर पत्रिका प्लस ऐसे ही पिता से आपको रू-ब-रू करा रहा है, जिनकी मेहनत और मोटिवेशन ने आज बच्चों को टॉपर्स बनाकर उनका जीवन बदल दिया।

sharsti deshmukh
हमेशा पापा के मोटिवेशनल कोट से करती थी दिन की शुरुआत
सिविल सर्विसेस की पढ़ाई टफ है। मैं नर्वस हो जाती थी। पापा जयंत देशमुख रोज मुझे एक मोटिवेशनल कोट भेजते थे। इसी से दिन की शुरुआत करती थी। सिविल सर्विसेज के एग्जाम छह दिन तक लगातार चले। इस दौरान पापा ने ऑफिस से छुट्टी ली थी। तीन घंटे तक वह सेंटर के बाहर ही बैठे रहे। यूपीएससी के रिजल्ट से एक दिन पहले उन्होंने मुझे समझाया कि यदि तुम सलेक्ट नहीं भी होती तो निराश नहीं होना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। इससे पहले मेरा आईआईटी में सलेक्शन नहीं हुआ था तो मैं नर्वस थी। पापा ने समझाया कि ये जिंदगी का अंतिम पड़ाव नहीं है।
सृष्टि देशमुख, आईएएस टॉपर

गौरव जैन, जेईई एडवांस में सिटी टॉपर
रातभर बैठकर पापा ने कराई तैयारी
जेईई का एग्जाम टफ होता है। कई बार टेस्ट में मेरी रैंक खराब आती थी, तो
पापा चक्रेश जैन मोटिवेट करते थे। कई बार मुझे कोई टॉपिक समझ नहीं आता तो पापा मेरे पास रात-रातभर बैठकर मुझे स्टडी में मदद करते थे।
गौरव जैन, जेईई एडवांस में सिटी टॉपर
एकता यादव, एकलव्य अवॉर्डी
पिता को देखकर चुना सेलिंग खेल, जीत लिए हैं पांच इंटरनेशनल मेडल

मेरे प्रेरणास्रोत पिता जीएल यादव हैं। 2009 में सेलिंग खेल में उन्हें अर्जुन अवार्ड मिलता देख मैंने इसमें आगे बढऩे का तय कर लिया था, तब मैं 13 साल की थी। मैं भोपाल के बड़े तालाब में पापा के साथ सेलिंग की बारीकियां सीखने लगी। पहले उसे पानी में जाने से ही डर लगता था, लेकिन उन्होंने हौसला बढ़ाया। 2010 में मैंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेला था। अब तक 15 इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भारत का हिस्सा रहीं हूं। चार इंटरनेशनल मेडल जीते हैं। एशियन चैंपियनशिप में देश के लिए कांस्य पदक जीता था। मैंने नौ नेशनल चैंपियनशिप के मेडल जीते हैं। अब 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। चाही जितनी भी मेहनत करनी पड़े, अपने पापा और देश का नाम रोशन करूंगी।
एकता यादव, एकलव्य अवॉर्डी

कुणाल मोदी, एम्स में 65वीं रैंक
पापा की तरह बनना चाहता हूं
मैंने पापा डॉ. अमित मोदी से प्रेरित होकर डॉक्टर बनने का तय किया। मां राशि मोदी भी डॉक्टर हैं। मैं भी डॉक्टर बनकर मम्मी-पापा की तरह समाजसेवा करना चाहता हूं। 12-12 घंटे तक स्टडी करता हूं। इसमें पापा और मम्मी से हेल्प लेता हूं।
कुणाल मोदी, एम्स में 65वीं रैंक

अनुराग तिवारी, क्लैट टॉपर
स्ट्रेस में रहता तो घुमाने ले जाते
पापा संजय तिवारी स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन में मैनेजर हैं। एक बार टेस्ट में खराब रैंक आई, तो मैं डर गया, लेकिन घर जाकर मैंने जब पापा को बताया तो उन्होंने मुझे गले लगा और समझाया कि ये रैंक तुमसे बढ़कर नहीं है। वे मुझे घूमाने भी ले गए। उन्होंने तनावमुक्त होकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं के मोटिवेशन में मुझे क्लेट में एआईआर-3 दिलाने में मदद की।
अनुराग तिवारी, क्लैट टॉपर

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