सिविल सर्विसेस की पढ़ाई टफ है। मैं नर्वस हो जाती थी। पापा जयंत देशमुख रोज मुझे एक मोटिवेशनल कोट भेजते थे। इसी से दिन की शुरुआत करती थी। सिविल सर्विसेज के एग्जाम छह दिन तक लगातार चले। इस दौरान पापा ने ऑफिस से छुट्टी ली थी। तीन घंटे तक वह सेंटर के बाहर ही बैठे रहे। यूपीएससी के रिजल्ट से एक दिन पहले उन्होंने मुझे समझाया कि यदि तुम सलेक्ट नहीं भी होती तो निराश नहीं होना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। इससे पहले मेरा आईआईटी में सलेक्शन नहीं हुआ था तो मैं नर्वस थी। पापा ने समझाया कि ये जिंदगी का अंतिम पड़ाव नहीं है।
जेईई का एग्जाम टफ होता है। कई बार टेस्ट में मेरी रैंक खराब आती थी, तो
पापा चक्रेश जैन मोटिवेट करते थे। कई बार मुझे कोई टॉपिक समझ नहीं आता तो पापा मेरे पास रात-रातभर बैठकर मुझे स्टडी में मदद करते थे।
गौरव जैन, जेईई एडवांस में सिटी टॉपर
एकता यादव, एकलव्य अवॉर्डी
मैंने पापा डॉ. अमित मोदी से प्रेरित होकर डॉक्टर बनने का तय किया। मां राशि मोदी भी डॉक्टर हैं। मैं भी डॉक्टर बनकर मम्मी-पापा की तरह समाजसेवा करना चाहता हूं। 12-12 घंटे तक स्टडी करता हूं। इसमें पापा और मम्मी से हेल्प लेता हूं।
कुणाल मोदी, एम्स में 65वीं रैंक
पापा संजय तिवारी स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन में मैनेजर हैं। एक बार टेस्ट में खराब रैंक आई, तो मैं डर गया, लेकिन घर जाकर मैंने जब पापा को बताया तो उन्होंने मुझे गले लगा और समझाया कि ये रैंक तुमसे बढ़कर नहीं है। वे मुझे घूमाने भी ले गए। उन्होंने तनावमुक्त होकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं के मोटिवेशन में मुझे क्लेट में एआईआर-3 दिलाने में मदद की।