scriptपत्रिका हॉट सीट: आप मुद्दे छोड़ शब्दों के पीछे क्यों भाग रहे हैं? शिवराज बोले- हम तो विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं | Patrika Hot Seat: Shivraj Singh Chauhan interview | Patrika News
भोपाल

पत्रिका हॉट सीट: आप मुद्दे छोड़ शब्दों के पीछे क्यों भाग रहे हैं? शिवराज बोले- हम तो विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं

सिंधिया की अलग शैली, जिनके समर्थन में नेता मंत्री पद छोड़ दें वो हमारे लिए गायब कैसे हो सकते हैं।

भोपालOct 29, 2020 / 09:47 am

Pawan Tiwari

sssssss.jpg
विजय चौधरी

भोपाल. वे धुआंधार चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। सुबह से शाम तक विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं, बैठकें चलती हैं। देर शाम जब भोपाल लौटते हैं तो अगले दिन की चुनावी रणनीति की तैयारी शुरू हो जाती है। कांग्रेस के हर कदम को बारीकी से जानते-समझते हैं और लूज बॉल मिलते ही सियासी शॉट मारने में देर नहीं करते। जी हां, बात हो रही है? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की।
वे ही उपचुनाव में पार्टी का चेहरा हैं। प्रचार के दौरान ‘पत्रिका’ ने उनसे हर मुद्दे पर बातचीत की। कांग्रेस और कमलनाथ का नाम आते ही शिवराज के शब्द तीखे हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि वे कमलनाथ की घेराबंदी में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं ही नहीं, पूरा प्रदेश जानता है कि कमलनाथ बाहरी व्यक्ति हैं। प्रचार में भाषा के गिरते स्तर पर उन्होंने कहा कि हम तो विकास और कल्याण के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। जानिए, उन्होंने किस सवाल का क्या जवाब दिया
Q. उपचुनाव में प्रचार के दौरान भाषा का स्तर गिर रहा है। नंगा-भूखा, आइटम, नीच, ***** जैसे शब्दों की सियासत हो रही है। इसे आप कैसे देख रहे हैं?
A. बिल्कुल, मैं आपकी बात से सहमत हूं। मेरे राजनीतिक जीवन में इतने चुनाव हुए, लेकिन अभी तक इस तरह की भाषा शैली सामने नहीं आती थी। पक्ष-विपक्ष, आरोप-प्रत्यारोप होते थे, लेकिन मर्यादित शब्दों में। कांग्रेस नेताओं ने मुझे नंगा-भूखा, नालायक, घुटने टेक, एक्टर, मदारी और न जाने क्या-क्या कहा है, क्योंकि मैं उन्हें सपने में भी दिखाई देता हूं। कांग्रेस जिस भाषा का उपयोग कर रही है, वह कतई उचित नहीं, इस पर पूरी कांग्रेस पार्टी को मंथन करना चाहिए। कांग्रेस ने तो समस्त नारी शक्ति का अपमान भी किया है। एक महिला जनप्रतिनिधि, जो मंत्री भी हैं, के लिए बोला गया शब्द दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें शर्म आना चाहिए।
Q. चुनाव में शब्दों के तीर के आगे प्रदेश के लगभग सभी मुद्दे गायब हो गए, भाजपा और आप मुद्दे छोड़कर कुछ शब्दों के पीछे क्यों भाग रहे हैं?
A. हम तो अपने विकास और कल्याण के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। अपशब्दों, अभद्र टिप्पणियों का प्रयोग तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर रहे हैं।
Q. चलते चुनाव में कांग्रेस विधायक ने पद और पार्टी छोड़ दी, इसे आप कैसे देखते हैं?
A. देखिए, कांग्रेस की स्थिति जगजाहिर है। जिस तरह से धृतराष्ट्र ने पुत्र मोह के कारण पूरे कौरव वंश को समाप्त करवा दिया था। आज कांग्रेस में भी दो धृतराष्ट्र हैं, जो पुत्र मोह में पूरी प्रदेश कांग्रेस को खत्म करने में लगे हैं। अब वहां ये समझ ही नहीं आता कि कांग्रेस है किसकी? प्रदेश अध्यक्ष तो कमलनाथ…मुख्यमंत्री तो कमलनाथ.. नेता प्रतिपक्ष तो कमलनाथ….युवा कांग्रेस तो नकुलनाथ…न तो कोई और नेता है और न ही कोई कांग्रेस कार्यकर्ता। जब जनप्रतिनिधि को सम्मान नहीं मिला तो उनमें निराशा का भाव आया और कांग्रेस छोडऩा ही उचित समझा।
Q. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा विधायकों की बोली लगा रही है?
A. कांग्रेस की दशा और दिशा दोनों ठीक नहीं है, जो विधायक कांग्रेस से टिकट लेकर लड़े और जीते, तब वे सही थे और आज पार्टी छोड़ दी तो उन्हें गद्दार कहने लगे। कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाना देश से ‘गद्दारी’ नहीं है। क्या कांग्रेस मोतीलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, शरद पवार, अर्जुन सिंह, शीला दीक्षित, प्रणब मुखर्जी, दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को भी कांग्रेस गद्दार मानती है?
02.png
Q. कमलनाथ कह रहे कि भाजपा को हार का डर है। वे चुनाव आयोग में कार्यकर्ताओं पर डराने धमकाने की शिकायतें कर रहे हैं?
A. देखिए, कमलनाथ अपने विधायकों को ही नहीं संभाल सके और अपनी ही पार्टी के नेताओं को गद्दार कहते हों, वे और क्या कर सकते हैं?
Q. कांग्रेस बार-बार कह रही है कि भाजपा प्रशासन का फायदा उठा रही है, वोटिंग नतीजों को प्रभावित कर सकती है, क्या कहेंगे?
A. कांग्रेस, अपनी स्थिति जानती है और उपचुनाव में हार का ठीकरा प्रशासन पर फोडऩे की तैयारी कर रही है। उनके नेताओं की आदत है कि हारे तो ईवीएम दोषी, प्रशासन दोषी, लेकिन अपने दोषों का मंथन कभी नहीं करते।
Q. पत्रिका से चर्चा में कमलनाथ ने कहा कि हमने 574 वचन पूरे किए हैं, अवसर मिला तो हम प्रदेश को देश का मॉडल बनाएंगे। इस बारे में आपका क्या कहना है?
A. देखिए, कांग्रेस की सवा साल की सरकार में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में क्या किया है, ये किसी से छिपा नहीं। प्रदेश के भोले-भाले किसानों को 2 लाख की कर्जमाफी का वादा करके सिर्फ धोखा दिया है। युवाओं को बेरोजगारी भत्ते के नाम पर ठगा, अपने वचन निभाने की बात कर रहे हैं, एक भी वचन पूरा नहीं किया बल्कि भाजपा सरकार द्वारा चलाई जा रहीं योजनाओं को भी बंद करवा दिया था। कमलनाथ ने द्वेषपूर्ण राजनीति का परिचय दिया है सवा साल में, उन्हें जनहित के कार्यों में कोई रुचि नहीं थी और न है।
Q. कमलनाथ कह रहे हैं कि ये चुनाव जनता से दगा और गद्दारी का चुनाव है, यह जनता का चुनाव है?
A. कमलनाथजी ये बताएं कि जनता से दगा और गद्दारी किसने की है। क्या जनता ने उन्हें अवसर नहीं दिया था, लेकिन सत्ता आते ही वे अपने दंभ और अहंकार में इतने चूर हो गए कि जनता को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से ही वंचित कर दिया। गद्दारी किसने की है, तय करें। जनहित के कार्यों में, सच की लड़ाई में, पार्टी छोडऩा गद्दारी नहीं होती।
Q. कमलनाथ ने कहा है कि नोटों से सरकार चलाने का चाल चरित्र भाजपा का है, जो सामने आ गया?
A. हमने तो उन्हें अवसर दिया, वरना चाहते तो पहले ही सरकार बना लेते। हमें अन्य विधायकों का समर्थन भी था, लेकिन निर्णय लिया कि सीटें उनकी ज्यादा हैं, इसलिए सरकार वही बनाएं। लगा था कि 15 साल बाद आए हैं तो अच्छा काम करेंगे, वचन निभाएंगे, जनता की सेवा करेंगे, लेकिन उन्होंने तो सवा साल में ही प्रदेश का सत्यानाश कर दिया। हमने जनता की भलाई और प्रदेश के हित मे सरकार बनाई। वे संभाल नहीं पाए तो खरीद-फरोख्त के आरोप लगा रहे हैं।
Q. आप कह रहे हैं कि कमलनाथ बाहरी हैं, उनका प्रदेश की जनता से लगाव नहीं है। वे कह रहे हैं मध्यप्रदेश मेरा है मैं कहीं नहीं जाऊंगा?
A. हां तो इसमें गलत क्या है? गलत है तो वे बता दें कि उनका जन्म कहां हुआ था, प्रदेश में कब और कहां से आए। जनता से लगाव होता तो प्रदेश के लिए कुछ तो करते। छिंदवाड़ा के अलावा बताइए प्रदेश की जनता को क्या सौगात दी? मैं ही क्या पूरा प्रदेश जानता है कि वे बाहरी हैं।
Q. आप कह रहे हैं कि राहुल गांधी कमलनाथ से नाराज हैं, इसीलिए प्रदेश में प्रचार के लिए नहीं आ रहे, उनका कहना है कि वे उपचुनाव में प्रचार के लिए नहीं आते?
A. देखिए ऐसा है कि 2018 के चुनावों में इन्होंने राहुल जी से घोषणा करवा दी कि किसानों का कर्ज माफ करेंगे। हकीकत जनता के सामने भी है और आपके भी। कर्ज तो माफ किया नहीं, किसान को डिफाल्टर घोषित करवा दिया। फिर इन्होंने महिला मंत्री पर अभद्र टिप्पणी की, उसे भी राहुल गांधी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताकर कहा कि ये गलत है, कमलनाथ ने उसे भी नकारते हुए कह दिया कि मैं माफी नहीं मागूंगा। आप ही बताइए, अपने नेता का ऐसा अपमान हो, उसकी बात ही न सुनी जाए तो वो प्रदेश में किस मुंह से आएं।
Q. कमलनाथ के 15 महीने बनाम आपके 7 महीने। आप खुद को कहां पाते हैं?
A. 15 महीनों में प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग की तरह फलफूल रहा था। राजधानी का वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था। कोरोना जैसे संकट को भी गंभीरता से न लेते हुए उसी वक्त कमलनाथ आइफा जैसे कार्यक्रमों में व्यस्त थे। जब हम सरकार में लौटे तो कोरोना से जनता की सुरक्षा करने का लक्ष्य था। हमने कोरोना पर भी प्रभावी नियंत्रण किया और विकास की गति को कम नहीं होने दिया।
01.png
Q. ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के प्रचार कैंपेन के पोस्टर से गायब हैं, क्या कारण है?
A. ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के सम्मानीय नेता हैं। वे प्राणप्रण से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। रोज आधा दर्जन के करीब उनकी सभाएं हो रही हैं। उनके काम करने का अपना तरीका है। जिनके समर्थन में नेता, विधायकी और मंत्री पद छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, वो गायब कैसे हो सकते हैं।
Q. सिंधिया कहते हैं यह उनका चुनाव है, लेकिन पार्टी आपके फेस पर लड़ रही है, क्या कार्यकर्ता और मतदाता भ्रमित नहीं हो रहा?
A. हम सब लोग मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा कैडर बेस पार्टी है, यहां इसका या उसका चेहरा नहीं होता। नीतियां होती हैं, कार्यक्रम होते हैं, लोगों से जुड़ाव और विकास के मुद्दे होते हैं। इसलिए किसी भ्रम की कोई बात नहीं। सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव में लगे हुए हैं और हमें बड़ी सफलता मिलेगी।
Q. चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अनेक घोषणा की हैं, खस्ताहाल खजाने के चलते उन्हें कैसे पूरा करेंगे?
A. मैं वैसा मुख्यमंत्री नहीं हूं, जो खस्ताहाल खजाने का रोना रोता रहूं या किसी पर आरोप लगाऊं। अपने बेहतर वित्तीय प्रबंधन से हमने 7 महीनों में लगभग 61 हजार करोड़ रुपए से अधिक का विकास कार्य किया है। मैं हमेशा कहता हूं कि जनता की भलाई के काम में पैसों की कमी को कभी आड़े नहीं आने दूंगा। नेता तो वही होता है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी जनता का सहारा बने।
03.png
Q. बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की भी अहम भूमिका है, इन्हें लेकर क्या रणनीति है ?
A. हमारी रणनीति स्पष्ट है। हम चुनाव को चुनाव की तरह लड़ते हैं। अनेक स्थानों पर बसपा, कांग्रेस से बेहतर स्थिति में है। हम अपने विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच में हैं, जो हमने किए हैं।
Q. पार्टी के कई नेता नाराज हैं, कुछ सीटों पर अंतर्कलह दिख रहा है, उन पर कैसे काबू पाएंगे?
A. भाजपा कार्यकर्ता आधारित अनुशासित पार्टी है। यहां ऐसी कोई बात नहीं है और कभी होती है तो हम मिलकर उसका समाधान भी निकालते हैं। नेता, कार्यकर्ता कोई नाराज नहीं है। सभी मन लगाकर एकजुटता के साथ चुनाव में लगे हुए हैं।
Q. उपचुनाव के बाद सरकार बनी तो आपको तीन वर्ष मिलेंगे। इस अवधि में आपके विकास का विजन क्या होगा ?
A. मेरा मानना है कि काम करने के लिए समय नहीं, दृष्टि होना चाहिए। हम ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ का सृजन कर रहे हैं। इसके लिए हमने रोडमैप तैयार कर लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि 2023 तक यानी अगले तीन वर्षों में हमारा प्रदेश नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। विकास के लिए खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, अधोसंरचना और रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में एक साथ कार्य किया जाएगा। हर गरीब का अपना घर होगा, उनके भोजन और दवाई की उत्तम व्यवस्था होगी, विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, युवाओं का कौशल विकास होगा और उन्हें रोजगार मिलेगा। पारदर्शितापूर्ण सुशासन व्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी का नवाचार के साथ पूर्ण उपयोग किया जायेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो