प्रदेश में 28 हजार के आस-पास गंभीर संक्रमित आइसीयू और ऑक्सीजन बिस्तरों में भर्ती हैं। हालांकि, अब ऑक्सीजन से भी थोड़ी राहत सरकार को मिली है। ऑक्सीजन की मांग में भी कमी आई है। पहले 600 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की प्रति दिन मांग आती थी, पर अब ये मांग पांच सौ से नीचे आ गई है। प्रदेश के डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों की स्थिति देखी जाए तो वर्तमान में 13 फीसदी आइसीयू 31 फीसदी बेड ऑक्सीजन के खाली है। समान्य बेडों की संख्या तो करीब 50 फीसदी तक खाली हैं।
क्या है इसके पीछे की वजह
दरअसल, लोगों में कोरोना इलाज के प्रति जागरुकता बढ़ी है। सर्दी, खांसी, बुखार के लक्ष्ण दिखते हैं, वे जांच व दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं। रिपोर्ट आने तक शुरुआती इलाज का 50 फीसदी तक कोर्स पूरा हो जाता है। इसके साथ ही होम आइसोलेशन भी हो जाते हैं। इससे संक्रमण मरीजों के हार्ट और लंग्स तक नहीं पहुंच पाता है। इसमें उन्हीं मरीजों की स्थिति थोड़ी सी खराब होती है, जो शुगर और बीपी सहित अन्य गंभीर बीमारी के मरीज हैं।
वैक्सीनेशन भी बड़ा सहारा
वैक्सीनेशन भी संक्रमण को पीछे करने का एक बड़ा जरिया माना जा रहा है। बताया जाता है कि प्रदेश में अब तक करीब एक करोड़ के आस पास लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसमें साढ़े १६ लाख लोगों को दूसरा डोज भी दिया जा चुका है। इससे कोरोना संक्रमण की मारक क्षमता कम हुई है। वैक्सीन लगवाने वाले लोग संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन इस तरह के मरीजों को संक्रमण ज्यादा गंभीर बीमार नहीं कर पा रहा है।