ये है भोपाल के पेट्रोल के दाम
आपको बता दें मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पेट्रोल के दामों की तो यहां 49 पैसे प्रति लीटर की बढ़त लेने के बाद पेट्रोल के दाम 85.80 पैसे जा पहुंचा है। वहीं, डीजल के दामों में 55 पैसे प्रति लीटर की दर से बढ़त हुई है, जिसके बाद अब डीज़ल के दाम 76.00 रुपए प्रति लीटर पर जा पहुंचा है।
ऐसे मिल सकती है राहत
पेट्रोल डीजल के बढ़ते दमों ने लोगों की जेबों में इस कदर आग लगाई है कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। बढ़ती महंगाई और पेट्रोल डीजल के बढ़ते दमों से परेशान जनता ने एक नया तरीका निकाल लिया है। दरअसल अब सरकार एक नई तकनीकि पर काम करने जा रही है। सरकार अब सड़े आलुओं से पेट्रोल-डीजल बनाने का काम शुरू करने जा रही है। सरकार पेट्रोल-डीजल को बनाने के लिए बॉयो फ्यूल को बढ़ावा देना चाह रही है। इस काम के लिए सड़े हुए आलू बहुत काम के साबित हो सकते हैं।
सरकार इस तकनीक पर करेगी काम
सरकार की इस पहल से आलू के किसानों को भी फायदा होगा। भारत में हर साल जितने आलू की पैदावार होती है उतना आलू खरीदा नहीं जाता है। ज्यादातर आलू सड़कों पर फेक दिया जाता है। जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है। अब किसानों की नाराजगी और लोगों को परेशानी को दूर करने के सरकार आलू से पेट्रोल-डीजल बनाने का सोच रही है। इसके लिए सड़े हुए आलुओं और प्लांट वेस्ट आदि से बॉयो फ्यूल तैयार किया जाएगा। वैसे बॉयो फ्यूल का निर्माण अब कोई बड़ी बात नहीं है। हालही में इसी तकनीकि से स्पाइस जेट कंपनी ने ये कारनामा करके दिखाया था। जट्रोफा फसल से तैयार किए गए बॉयो फ्यूल से देहरादून-दिल्ली के बीच उड़ान भरी गई। इस उड़ान का परीक्षण पूरा तरह सफल रहा। जिसके बाद से भारत उन खास देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिन्होंने बायोफ्यूल से किसी प्लेन को उड़ाया है। इससे पहले ये कारमाना कई विकसित देश कर चुके है।
क्या है बॉयो फ्यूल
बता दें कि बायोफ्यूल सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनता है। जीवाश्म ईंधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, एयरलाइंस इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन (IATA) नाम की ग्लोबल असोसिएशन ने लक्ष्य रखा है कि उनकी इंडस्ट्री से पैदा होने वाले कॉर्बन को 2050 तक 50 प्रतिशत कम किया जाए। एक अनुमान के मुताबिक, बायोफ्यूल के इस्तेमाल से एविएशन क्षेत्र में उत्सर्जित होनेवाले कार्बन को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
क्यों है जरूरत
बता दें कि भारत में कुल वाहनों में से 72 प्रतिशत डीजल और 23 प्रतिशत वाहन पेट्रोल से चलते है। बाकी बचे हुए वाहन सीएनजी और एलपीजी से चलते है। भारत देश केवल सिर्फ 18 प्रतिशत तेल का उत्पादन कर सकता है। बाकी का तेल भारत को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है। इस कारण अगर इस तकनीकि पर काम किया जाता है तो तेल के आयात पर भारत अपनी निर्भरता को कम कर सकता है। बीते दिनों पीएम मोदी ने भी हाल ही में नेशनल पॉलिसी फॉर बॉयो फ्यूल 2018 जारी की थी। जिसमें आने वाले चार सालों में एथेनॉल को 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। अगर ऐसा होता है तो तेल आया के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपए को बचाया जा सकता है।
इसलिए बढ़े है पेट्रोल-डीजल के रेट
बताया जा रहा है कि, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आए इतने जबदस्त इजाफे का बड़ा कारण रुपये में आई कमज़ोरी के कारण हुआ है। बता दें कि,डॉलर के मुकाबले रुपये का स्तर 71.84 पैसे जा पहुंचा है। गिरावट के चलते ही तेल कंपनियां रोज़ाना कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं। कंपनियां डॉलर में तेल का भुगतान करती हैं, जिसकी वजह उन्हें अपना मार्जिन पूरा करने के लिए तेल की कीमतों में इज़ाफा करना पड़ रहा है।