मैं एक दहशतगर्द हूं, मारना मेरा शगल है
मेरे सींग हैं, दो जहरीले दांत और ड्रैगनफ्लाई सी पूंछ, अपने घर से खदेड़ा गया, डर से छिपा था
प्राण बचाए, जिसके मुंह पर बंद हैं सब दरवाजे…
झुलसी हुई पृथ्वी की रणनीति ऐसी है,
कि वह कर रही है मेरे दिल के टुकड़े-टुकड़े, जबकि उसकी अपनी परंपराएं हैं, अपना है रेगिस्तान, बुजुर्ग बैठे हुए हैं एक घर बनाकर और बाते रहे हैं, यह बहुत पुरानी बात है, पचासों से साल पुरानी…
मछली बाजार में जिस मछली का मोलभाव पर,
बाताबाती हाथापाई में बदल रही थी
उसके बाजू के डाले से एक कटे हुए कतले का सिर, उछल कर मेरे थैले के अंदर घुस आया…
मैं कह सकता हूं, रूपहला आकाश या नीला चांद
पर ये मेरा स्वर नहीं है, और अगर मैं किसी तारे का चित्र बनाता हूं, तो वह केवल अपनी परछाई को, दूर भगाने के लिए होगा…
जो निकल गया एक लंबी यात्रा पर, उसके बच्चे को इसकी खबर नहीं, कोई दिशा पकड़ ली, कोई भी सड़क, धुंए से भरी हुई दूर तक
समुद्र यदि जुदा होकर यह राज खोल दे
तो आंसुओं से भर जाएगा यह रास्ता…
हर उस प्रथम व्यक्ति के, कंकाल के भीतर गड़ी
स्मृतियों का आव्हान करते हैं, कि वे आएं और धरती की सतह पर चहलकदमी करें, इस सभ्यता को बीज की तरह, इस ग्रह को पालें, उनके झूलों में, उनके घोंसलें बनाएं…