scriptसवर्ण आंदोलन से घबराई सरकार, नेताओं को दी एपफआईआर की वार्निग | police has warn to sapaks | Patrika News

सवर्ण आंदोलन से घबराई सरकार, नेताओं को दी एपफआईआर की वार्निग

locationभोपालPublished: Sep 23, 2018 09:36:55 pm

Submitted by:

harish divekar

पुलिस अफसरों ने दी समझाईश कहा, प्रधानमंत्री दौरे पर ना बिगाडे लॉ-एंड-आर्डर

sapaks

Sapaks Constitution of the executive

एट्रोसिटी एक्ट को लेकर प्रदेश में जोर पकड रहे सवर्ण आंदोलन को थामने के लिए अब सरकार ने पुलिस डंडे का सहारा लिया है। अब विरोध करने वाले आंदोलनकारियों को पुलिस खुले आम पीटकर उनकी आवाज दबाने की कोशिश में लग गई है। वहीं राजधानी में 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित दौरे को लेकर भी पुलिस अफसरों ने कडा रुख दिखाया है। उन्होंने सपाक्स एवं सवर्ण समाज के नेताओं से बैठक कर हिदायत दी है कि यदि प्रधानमंत्री दौरे में किसी भी प्रकार की कोई लॉ एंड आॅर्डर की स्थिति बिगडती है तो उन सभी के खिलाफ एफआईआर से लेकर कडी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इधर पुलिस प्रशासन ने सपाक्स एवं सवर्ण समाज के बडे सक्रिय नेताओं को नजरबंद करने की भी योजना बनाई है, जिससे राजधानी में प्रधानमंत्री दौरे के दौरान किसी भी तरह की कोई अव्यवस्था न हो।
याद रहे यह फार्मूला पुलिस प्रशासन बालाघाट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनआर्शिवाद यात्रा में आजमा चुका है।

सीएम की यात्रा के एक दिन पहले ही सपाक्स संगठन के राजेश वर्मा कर्मचारी अधिकारी संघ एवं युवा संगठन के अमित चौबे को स्थानीय पुलिस ने नजरबंद कर लिया था, इसके बाद बालाघाट में सपाक्स और सवर्ण समाज का किसी तरह को कोई विरोध नहीं दिखाई दिया। सपाक्स के दोनों जिला स्तरीय नेताओं को यात्रा के बाद छोड़ा गया। इतना ही नहीं दोनों को कोतवाली बुलाकर टाइप किये हुए पेपर जिस पर हमने काले झंडे दिखाए हस्ताक्षर करवाकर दबाव भी बनाया गया। पुलिस की इस कठोर कार्रवाई से सवर्ण समाज के लोगों में भय फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

इधर विरोध का अनोखा तरीका
मंदसौर जिले की सीतामऊ तहसील में सपाक्स संगठन ने स्थानीय नेताओं के विरोध का नया तरीका ढूंढ निकाला है। जब किसी भी पार्टी का नेता किसी भी गांव में लोगों से संपर्क करने जाता है तो सबसे पहले लोग खुब सारे जमा हो जाते हैं और कुछ नहीं बोलते और जैसे ही वह नेता भाषण देना शुरू करता है तो जय सपाक्स जय सपाक्स के नारे लगने लगते हैं लोग अपनी अपनी जेबों से काले झंडे निकाल कर लहराने लगते हैं तब आलम यह हो जाता है कि वह नेता मंच छोड़ कर भाग खड़ा होता है। इस तरह का प्रदर्शन देख कर नेता गांवों में जाने से घबराने लगे हैं। इसकी शुरुआत सुवासरा तहसील से हुई थी जो अब प्रदेश के कई जिलों में देखने में आ रही है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो