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भोपाल

पुलिस चौकी बने हो गए 3 वर्ष, अभी तक नहीं पहुंची पुलिस

– काजलीखेड़ा पुलिस चौकी के क्षेत्र में आते कई गांव और कॉलोनियां

भोपालNov 21, 2019 / 11:20 am

दिनेश भदौरिया

पुलिस चौकी बने हो गए 3 वर्ष, अभी तक नहीं पहुंची पुलिस

पुलिस चौकी बने हो गए 3 वर्ष, अभी तक नहीं पहुंची पुलिस

भोपाल/ बीते एक दशक के दौरान राजधानी का काफी विस्तार हुआ है। एमपी नगर को केन्द्र मान लें तो शहर में चारों तरफ लगभग 20-20 किलोमीटर दूर तक बसावट हो चुकी है। कॉलोनियों की सुरक्षा की बात करें तो लोगों के बीच पुलिस की पहुंच नहीं है। लोगों की डिमांड पर जो पुलिस चौकियां या सहायता केन्द्र बनाए भी गए तो वहां पर पुलिस बैठती ही नहीं।

चौकियों और सहायता केन्द्रों से पुलिस के लगातार नदारद रहने की शिकायतें मिलने पर पत्रिका एक्सपोज टीम ने ऐसे कई प्वाइंट्स को देखा, जहां पुलिस हो होना चाहिए था, लेकिन पुलिस वहां नहीं मिली। सामने यह आया कि कहीं पुलिस चौकियां बनाने की घोषणा तो हुई, लेकिन वहां सिर्फ बोर्ड लगाकर ही वर्षों से काम शुरू नहीं हुआ। कहीं चौकी बना भी दी गई तो आज तक एक बार भी पुलिसकर्मी नहीं पहुंचे। भीड़ भरे बाजार में स्थापित चौकियों और पुलिस सहायता केन्द्रों पर भी ताले मिले।

कजलीखेड़ा पुलिस चौकी

यह पुलिस चौकी वीरान और उजाड़ पड़ी हुई थी। आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि आज तक इस पुलिस चौकी पर एक दिन भी पुलिस नहीं बैठी। इस क्षेत्र में तैनात बीट के पुलिसकर्मी दुकानों पर चाय-नाश्ता करने आते हैं और गप्पें हांककर चले जाते हैं। कोलार रोड थाने की इस चौकी को बने हुए तीन वर्ष से अधिक समय हो चुका है। तत्कालीन राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर एक सामुदायिक भवन की घोषणा करने यहां आए थे।

उस समय क्षेत्रीय विधायक की मौजूदगी में इस चौकी को स्थापित किया गया था। चूंकि कोलार रोड पर रासयेन और सीहोर जिलों की सीमा तक कॉलोनियां बस रही हैं, इसलिए यहां की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए इस चौकी की स्थापना की गई थी। यहां दर्जनों नई कॉलोनियां बस चुकी हैं, लेकिन पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था चौपट है।

मनीषा मार्केट शाहपुरा

मनीषा मार्केट चौराहे पर स्थित यह पुलिस चौकी/सहायता केन्द्र भी बंद था। लोगों का कहना है कि यह केन्द्र अकसर बंद रहता है। यह मार्केट इस क्षेत्र का प्रमुख पब्लिक प्लेस है, जहां रोजाना हजारों लोगों का फुटफॉल होता है। शाहपुरा पॉन्ड के पास सुबह-शाम टहलने के लिए महिलाएं और लड़कियां भी आती हैं। आवारा बाइकर्स भी इस क्षेत्र में फर्राटा भरते रहते हैं। पूर्व में छेड़छाड़ की घटनाएं भी हो चुकी हैं। मार्केट के पीछे नाबार्ड कॉलोनी भी बसी है। कई कॉलोनी की आबादी के आवागमन का प्रमुख प्वाइंट है।

दस नंबर मार्केट

यहां दो पुलिस चौकियां/सहायता केन्द्र हैं, जो बंद मिले। पुलिसकर्मी नदारद थे। शहर के प्रमुख बाजारों में शुमार 10 नंबर मार्केट में किसी भी अप्रिय स्थिति में लोगों की मदद के लिए बनाई गई दो पुलिस चौकियां पूरे समय सूनी पड़ी रहती हैं। इन चौकियां में अधिकांश समय ताला लगा रहता है। जिसके कारण लोगों को आपत स्थिति में डेढ़ किलोमीटर दूर बने हबीबगंज थाना जाकर अपनी शिकायत से पुलिसकर्मियों को अवगत करवाना पड़ता है।

पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा भले ही पुलिसकर्मियों को आम जनता से बदमाशों की तरह रवैया न अपनाने और फरियादी की तुरंत सुनवाई कर उसे हर संभव मदद की जाए। लेकिन जिस तरह से 10 नंबर मार्केट के समीप 100 मीटर की दूरी पर बनी दो पुलिस चौकियों के हाल है, उन्हें देखकर हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। इन चौकियों से अधिकांश समय पुलिसकर्मी नदारद रहते हैं। यहां आसपास दुकान लगाने वाले व्यापारियों का कहना है कि सुबह-शाम कुछ देर ही पुलिसकर्मी चौकी में दिखाई पड़ते हैं।

सुभाष नगर चौकी

ऐशबाग थाना क्षेत्र की सुभाष नगर चौकी पर ताला लगा था। कई वाहन इधर-उधर खड़े हुए थे। आसपास की खाली जमीन पर कई गुमठियां और चाय-नाश्ते वालों ने कब्जा जमा लिया है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस जनता की सहायता के लिए चौकी पर उपलब्ध रहने की जगह और कामों को अधिक तरजीह देती है। स्थानीय लोग नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि गुमठियों और चाय-नाश्ता वालों से चौथ वसूली की जाती है। जनता की सुरक्षा दरकिनार कर दी गई है।


पुलिस बल की कमी और बहुत सी जिम्मेदारियों के चलते कुछ चौकियों को मेंटेन नहीं किया जा सका है। फिर भी उपलब्ध संसाधनों में बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।
– इरशाद वली, डीआइजी

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