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भोपाल

जीत की चाह चेहरा बदल रहे सियासी दल

लोकसभा का रण : चार सीटों पर दोनों के प्रत्याशियों के नाम सामने – अब तक टिकट14 टिकट भाजपा के घोषित09 टिकट कांग्रेस के घोषित

भोपालMar 26, 2019 / 07:33 pm

anil chaudhary

saharanpur news

chunav

भोपाल. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के नौ और भाजपा के 14 नाम घोषित होने के बाद प्रदेश की 29 में से महज चार सीटों की तस्वीर साफ हुई है। कांग्रेस ने चारों जगह नए चेहरे उतारे हैं। इनके सामने भाजपा के दो पुराने और दो नए चेहरे मैदान में होंगे। इन चारों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कई बार जीत-हार की बाजी पलटती रही है, इसलिए दोनों दल कहीं पर दलबदलू पर दांव आजमा रहे हैं तो कहीं चेहरा बदल रहे हैं। इनमें से शहडोल सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आईं हिमाद्री सिंह और भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुईं प्रमिला सिंह आमने-सामने हैं।
– टीकमगढ़ : चेहरे बदलने का फॉर्मूला
कांग्रेस- किरण अहिरवार
भाजपा- वीरेंद्र खटीक
कांग्रेस चेहरा बदला है। दरअसल, बुंदेलखंड की इस सीट पर केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक दो बार से काबिज हैं। कांग्रेस ने 2009 में वृंदावन अहिरवार और 2014 में कमलेश अहिरवार को उतारा था। कांग्रेस ने इस बार भी चेहरा बदला है। किरण अहिरवार को दिग्विजय खेमे का माना जाता है। टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में खटीक को बढ़त मिली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में आठ में से तीन पर कांग्रेस को जीत मिली है, इसलिए यहां कांग्रेस को उम्मीद है।
– होशंगाबाद : दलबदल के तोड़ की तलाश
कांग्रेस- शैलेंद्र दीवान
भाजपा- राव उदय प्रताप सिंह
कांग्रेस यहां भाजपा के दलबदल के दांव का तोड़ ढूंढ रही है। 2009 में राव उदयप्रताप सिंह कांग्रेस से सांसद थे। वे 2014 के चुनाव के पहले भाजपा में चले गए। फिर भाजपा से सांसद बने, तब कांग्रेस ने देवेंद्र पटेल को उतारा था। इस बार शैलेंद्र दीवान को प्रत्याशी बनाया है। यहां कांग्रेस को उम्मीद है कि राव उदय प्रताप की कम सक्रियता के कारण उसे मौका मिल सकता है। यह सीट 1951 से अब तक आठ बार कांग्रेस, सात बार भाजपा और तीन बार अन्य के पास रही है। इस बार विधानसभा चुनाव में आठ में से पांच सीटें कांग्रेस नेे जीती हैं।

– बैतूल : ढाई दशक से जीत का इंतजार
कांग्रेस- रामू टेकाम
भाजपा- दुर्गादास उइके
कांग्रेस को यहां ढाई दशक से जीत का इंतजार है। इसके लिए वह हर बार चेहरे बदलने का प्रयोग कर रही है। यहां 1991 में कांग्रेस से आखिरी सांसद असलम शेरखान थे। 1996 में असलम की हार के बाद से चेहरे बदलने का दांव शुरू हुआ, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इस बार भी जीत की संजीवनी तलाशने कांग्रेस ने छात्र राजनीति से आने वाले रामू टेकाम को मौका दिया है। विधानसभा चुनाव 2018 में यहां की आठ में से चार सीटों पर कांग्रेस को सफलता मिली है, इसलिए कांग्रेस को अपने पुराने गढ़ को वापस पाने की उम्मीद है।

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