वहीं मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि युवक कांग्रेस ने लगातार बढ़ रही बेरोजगारी के मुद्दे को उठाते हुए एनआरयू यानी राष्ट्रीय बेरोजगारी रजिस्टर बनाने की मांग को लेकर एक अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत मिस्ड कॉल के लिए एक नंबर जारी किया गया है। इसे लेकर युवक कांग्रेस मध्यप्रदेश समेत देशभर के युवाओं के बीच एक अभियान चलाएगी।
सरकार पर उबलीं उमा भारती :
उमा भारती ने कहा कि ब्यावरा, राजगढ़ में तिरंगा हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों का व्यवहार नियमानुसार नहीं था क्योंकि प्रदेश में ही सीएए के विरोध में रैली निकाली गई व राज्य के सीएम ने उसका नेतृत्व किया तो समर्थन में की गई रैली को भी नहीं रोका जा सकता था। उसके बाद कार्यकर्ताओं के अपमान के विरोध में हुई सभा में बद्रीलाल जी की अशोभनीय टिप्पणी पर कार्यवाही भी हुई तथा उन्होंने माफी भी मांग ली। इसके बाद एक अन्य आईएएस अधिकारी के द्वारा इशारों में नेताओं को डकैत एवं घपलेबाज कहते हुए सोशल मीडिया में टिप्पणी करना इससे पूरे मामले की दिशा ही बदल गई।
गोपाल भार्गव का समर्थन :
उन्होंने गोपाल भार्गव का समर्थन करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव जी ने जो टिप्पणी की उसे मैंने अखबारों में पढ़ा वह समयानुकूल है एवं तर्कसंगत है। नेता डकैती या घपलेबाजी अधिकारियों के सहयोग के बिना कर ही नहीं सकते इस पर तो एक अलग ही राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए क्योंकि चिदंबरम के मामले में स्वयं कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि इस विषय पर अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए। उतावलेपन में नेताओं को डकैत एवं घपलेबाज कहकर सब राजनीतिक दलों के नेताओं को एक ही साइड में खड़ा कर दिया है।
पद के मद में अधिकारी भूले शालीनता :
उमा भारती ने आगे कहा कि 26 जनवरी को हाथ में तिरंगा लेकर प्रदर्शन कर रहे नेताओं का अपमान एवं डकैत एवं घपलेबाज की गाली मध्यप्रदेश में शासन एवं प्रशासन के बीच में एक नई कटुतापूर्ण बहस को छेड़ देगा। मध्य प्रदेश एक शांतिपूर्ण राज्य रहा है लेकिन अब लगता है कि यह कटु बहस राज्य सरकार को संकट में डाल देगी। पद के मद में अधिकारी हो या नेता मर्यादा, शालीनता कभी नहीं भूलना चाहिए। उमा ने कहा कि एक बार फिर छिंदवाड़ा जिले में राजगढ़ जिले की जैसी घटना हो गई जिसमें एक प्रशासनिक अधिकारी ने कांग्रेस के कार्यकर्ता की तरह बर्ताव किया एवं संविधान की मर्यादा का उल्लंघन किया।
सीएए को न मानना संविधान का अपमान :
उमा भारती ने कहा कि चौरई के पूर्व भाजपा विधायक गणतंत्र दिवस समारोह में आयोजित कार्यक्रम में सीएए के बारे में कुछ सकारात्मक बातें कह रहे थे तो वहां की एक एसडीएम ने खड़े होकर कहा कि यह विवादास्पद विषय है तथा रमेश दुबे को बोलने से रोक दिया। सीएए का विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास हो चुका है ऐसे में कोई सरकारी अधिकारी यदि इसको विवादास्पद विषय मानता है तो वह भी भारतीय संविधान की अवमानना करता है। लगता है मध्यप्रदेश में प्रशासनिक अधिकारी यह भूल गए हैं कि यहां पर कांग्रेस की सरकार है किंतु यहां के सरकारी अधिकारी कांग्रेस के कार्यकर्ता नहीं है। चापलूसी की सारी मर्यादाएं पार करते हुए संवैधानिक दायित्व का ही स्मरण न रहना देश एवं मध्य प्रदेश राज्य के लिए यह घातक होगा।