जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में एक बाघिन को दो शावकों के साथ देखा गया था। जबकि अपने पेट की आग बुझाने के लिए टाइग्रेस ने यहीं शिकार भी किया था। वहीं यहां घूम रहे कुछ कुत्तों ने एक शावक को आईएचएम बोर्ड से पीछे तक दौड़ा दिया था। जिसके बाद अंधेरा होने पर ही कॉलिंग करते हुए शावक अपनी मां के पास आ सका। वहीं जानकारी के अनुसार इसके बाद वे उस क्षेत्र से निकल गए। रात में ही तेज हॉर्न बजाकर इस क्षेत्र से जबरन गुजरने को लेकर कुछ लोगों से वन अमले के साथ कहासुनी भी हुई।
जानकारी के अनुसार रविवार दोपहर को कलियासोत नदी के चंदनपुरा इलाके में कुछ चरवाहों ने भैंस पर बाघिन के हमले की जानकारी दी, लेकिन चरवाहों के सचेत होने से भैंस बच गई। बताया जाता है कि इसकी सूचना वन विभाग को देने के बावजूद काफी देर तक यहां कोई नहीं आया। इसके बाद शाम को वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने वनाधिकारियों को फोन से पुन: इसकी सूचना दी कि कलियासोत नदी की तलहटी में बाघिन दो शावकों के साथ मौजूद है।
कलियासोत डैम 13 शटर से थोड़ा आगे जागरण यूनिवर्सिटी रोड पर आईएचएम बोर्ड के पास कुछ वनकर्मी मौजूद थे। वहीं यहां से आने-जाने वाले कई लोग भी बाघिन को देखने की तम्मन्ना लिए अपने वाहन रोककर तमाशा देखने लगे। वहीं कड़ी मशक्कत के बावजूद कुछ ही वनकर्मियों के यहां होने से वे लोगों को नहीं रोक पाए। जिसके बाद राजकमल दायमा ने फोन कर बेरिकेड्स मंगाए।
इस दौरान डिप्टी रेंजर राजेन्द्र सिंह मरावी भी भीड़ को वहां हटाने को मशक्कत करते देखे गए। इसके कुछ ही देर बाद एसडीओ एसएस भदौरिया भी मौके पर पहुंचे और बेरिकेड्स हटाकर लोगों को पीछे लौटाया। इस दौरान उन्होंने टाइगर पैट्रोलिंग वैन से दूसरे रास्ते से जाने का एनाउंसमेंट कराना शुरू कर दिया।
जबकि इस दौरान अधिकारी एक तरफ से लोगों को हटाते, तो वे दूसरी तरफ से नीचे उतर जाते। नई सड़क पर तमाम तमाशबीन व टहलने वाली महिलाएं और बच्चे एनाउंसमेंट के बावजूद घूमते रहे। गाडिय़ां रोककर चंद कदम की दूरी पर सेल्फी भी लेते रहे। कुछ लड़के तो बाघिन से 50—60 मीटर की तक पहुंच गए। इनमें आसपास के संस्थानों के युवक-युवतियां अधिक थे।
एक्सपट्र्स का कहना है कि शावकों के साथ बाघिन दुनिया का सबसे खतरनाक जीव है। ऐसी स्थिति में जब वह शिकार के पास हो और उसका एक शावक बिछुड़ गया तो, वह हिंसक हो सकती थी। वन विभाग की टीम के पास ट्रैंक्वलाइजर या शस्त्र भी नहीं थे। यदि टाइगे्रस हिंसक हो जाती तो माना जा रहा है कि एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती। वहीं इस दौरान तेज गति से गुजर रहे वाहनों से शावक या अन्य वन्यजीव के चपेट में आने का भी खतरा था।
वहीं इस मामले में नाम न छापने की शर्त पर एक वनकर्मियों ने बताया कि नई सड़क के कारण पहले ही बहुत बड़ी मुसीबत पैदा हो गई है। ट्रैफिक न होने और शॉर्टकट के कारण लोग इस रास्ते से अधिक गुजरने लगे हैं। इसके साथ ही कई नशेड़ी और प्रेमी युगल भी देर रात तक इस क्षेत्र में बने रहते हैं। इस समय चल रही वनकर्मियों की हड़ताल के कारण भी सुरक्षा न के बराबर है।
बाघिन की उपस्थिति के चलते रास्ते को रोकने पर वनकर्मियों को लोगों का विरोध झेलना पड़ा। इस दौरान यहां तमाम लोगों से कई बार बहस की स्थिति बनी। देर रात तक लोगों ने वनकर्मियों से विवाद किया। रात एक बजे करीब तेज हॉर्न बजाकर गाड़ी दौड़ाकर निकल रहे लोगों से हुई कहासुनी के बाद एसपी को पुलिस वैन मौके पर भेजनी पड़ी। वन क्षेत्र में 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से अधिक गति से वाहन चलाना मना है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यहां लोग 80 से 100 किलोमीटर की रफ्तार पर वाहन चलाते हैं। वहीं तेज हॉर्न व म्यूजिक का धूमधड़ाका करते हुए भी यहां से गुजरते हैं।
जानकारों के अनुसार नए रोड व जागरण यूनिवर्सिटी रोड पर यदि बैरियर्स लगे होते तो हालात इतने नाजुक नहीं होते। ट्रैफिक को वहीं रोक दिया जाता। इस क्षेत्र में पहले टाइगर मूवमेंट के कई बोर्ड लगे हुए थे, लेकिन उन्हें हटा या तोड़ दिया गया और उनकी जगह फार्म हाउस, बिल्डर व अन्य संस्थानों के बोर्ड लगा दिए गए हैं। इससे वहां लोग बेफिक्र हो गए हैं कि टाइगर का मूवमेंट ही नहीं है। इस गलतफहमी से मानव-वन्यजीव द्वंद्व की आशंका कई गुना बढ़ गई है।
– डॉ. सुदेश बाघमारे, वन्यजीव विशेषज्ञ
शाम को वहां से टाइग्रेस दूसरी ओर चली गई थी। मौके पर मैदानी अमला व क्रैक टीम मौजूद रही। बीती रात एक बजे तेज हॉर्न बजाकर कार से गुजर रहे कुछ तत्वों की वनकर्मियों से कहासुनी हुई। उनकी गाड़ी के नम्बर ले लिए गए हैं, कार्रवाई की जाएगी। दो अस्थाई बैरियर भी बनाए जा रहे हैं।
– डॉ. सूर्यप्रकाश तिवारी, सीसीएफ