रेत उन्हीं खदानों से निकाली जाएगी, जिन्हें जून 2019 से पहले पर्यावरण की अनुमति मिल चुकी है। कलेक्टर अब इन खदानों की ई-टीपी कलेक्टरों जारी कर सकेंगे। इस संबंध में प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी कर कहा है कि यह व्यवस्था अस्थाई है। नए रेत खदान शुरु होते ही यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। कलेक्टरों को यह भी निर्देश दिए है संचलित करने योग्य खदानों का वे पहले सर्वे कराएं। जो खदानें संचालित करने योग्य हों, उसकी सूची शासन को भेंजे।
गौरतलब है कि नई रेत खदानों की प्रारंभिक निविदा ऑन लाइन निविदा होगी, इसमें ठेकेदार 8 नवम्बर तक हिस्सा ले सकेंगे।
तीन जिलों में ठेकेदारों को राहत मंडला, अलीराजपुर और देवास में ठेकेदारों को राहत दी गई है। इन जिलों के रेत समूहों की आफसेट प्राइज दस करोड़ से कम है। इसके चलते ठेकेदारों को उनकी कंपनी के नेटवर्थ बताने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। जबकि दस करोड़ से ऊपर के रेत समूहों की निविदा में हिस्सा लेने के लिए ठेकेदार अथवा कंपनी का नेटवर्थ आफसेट प्राइज का 50 फीसदी होना जरूरी है।
ठेकेदारों से 15-16 को चर्चा करेगा विभाग टेंडर प्रकिया अथवा शर्तों को लेकर अगर ठेकेदार अथवा आम जनता को किसी तरह की शंका अथवा सवाल है तो वे 15-16 अक्टूबर का विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर सकें। इसके लिए विभाग के अधिकारियों ने कलेक्टरों और आम जनता के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग रहा है। ठेकेदार अथवा आम जनता निविदा के संबंध में कलेक्ट्रेट कार्यालय जाकर वीडियो काफ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों से सवाल कर सकेंगे।
19 नवम्बर के बाद से आवंटित होगी खदाने
ठेकेदारों को रेत खदानों का आवंटन 19 नवम्बर के बाद से प्रारंभ किया जाएगा, क्योंकि तकनीकी निविदा खोलने की शुरूआत 19 नवम्बर से की जाएगी। सबसे पहली निविदा भोपाल-नर्मदापुर संभाग से शुरू की जाएगी। जबकि आखिरी तकनीकी निविदा 23 नवम्बर को सागर-शहडोल संभाग की खोली जाएगी।