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भोपाल

पहले बदली सूची, फिर प्रकाशकों से गठजोड़ कर रोक दी किताबें

स्कूलों से तय दुकानदारों के अलावा प्रकाशक किसी को किताबें देने को तैयार नहीं

भोपालFeb 17, 2020 / 01:24 am

Sumeet Pandey

पहले बदली सूची, फिर प्रकाशकों से गठजोड़ कर रोक दी किताबें

पहले बदली सूची, फिर प्रकाशकों से गठजोड़ कर रोक दी किताबें

भोपाल. निजी स्कूलों ने केवल किताबों की सूची देने में आनाकानी ही नहीं की बल्कि अब प्रकाशकों से गठजोड़ कर किताबों को खुले बाजार में आने से रोक भी रहे हैं। ऐसे में बमुश्किल सूची जारी करा पाया स्कूल शिक्षा विभाग किताबों को चुनिंदा दुकानों से बिकने से रोकने का उपाय नहीं खोज पा रहा है। शनिवार को निजी स्कूल संचालकों की बैठक में अधिकारियों ने स्कूलों के इस रवैये पर फटकार भी लगाई। दूसरी ओर पालक महासंघ ने निजी स्कूलों से उनकी तय की गई किताबों की सूची मांगने के बजाए दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार केवल एनसीईआरटीई की किताबों से पढ़ाई कराने की मांग की है। प्रशासन की ओर से शनिवार को ली गई बैठक में स्कूलों की ओर से अंतिम सूची देने के बाद बार-बार सूची बदलने का मामला उठने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने संचालकों को फटकार लगाई।
इतना ही नहीं बैठक में स्कूलों की ओर से बेहद दूर के अनजान से प्रकाशकों की किताबें चलाने और किताबों को बाजार में उपलब्ध नहीं कराने पर भी नाराजगी जताई। गौरतलब है कि कई स्कूलों ने ऐसी किताबों की सूची दी है जिनके प्रकाशक स्कूलों से तय दुकानदारों के अतिरिक्त किताबें उपलब्ध कराने को भी तैयार नहीं है। पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पंड्या ने बताया कि निजी स्कूलों को किताबें निर्धारित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पालकों को एनसीईआरटी एवं निजी प्रकाशकों, दोनों की किताबें खरीदनी पड़ती है। विभिन्न हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में भी एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य की जानी चाहिए।
अक्टूबर अंत तक खुलने वाला पोर्र्टल अभी तक नहीं खुला
नि जी स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया इस वर्ष लेटलतीफी का शिकार हो गई है। मान्यता देने के लिए जो एज्युकेशन पोर्टल अक्टूबर अंत तक खुल जाता था वह इस वर्ष फरवरी आखिर तक नहीं खुल सका है। इससे प्रदेश में नए स्कूल खुलने का रास्ता लगभग बंद हो गया है वहीं नवीनीकरण के दौरान जिन स्कूलों की मान्यता अटकेगी उनमें प्रवेश ले चुके लाखों विद्यार्थियों का भविष्य भी अधर में फंस जाएगा।
शैक्षणिक सत्र 2018-19 लोक शिक्षण संचालनालय ने अप्रेल के बाद अचानक पहले से संचालित दो हजार से अधिक स्कूलों को नियमों पर खरा न बताकर मान्यता रोक दी थी। इसके साथ इन स्कूलों में प्रवेश ले चुके हजारों विद्यार्थियों का भविष्य असुरक्षित हो गया था, लगभग चार महीने चली खींचतान के बाद आखिरकार सभी स्कूलों को मान्यता देनी पड़ी थी। इसके बाद सबक लेते हुए विभाग ने 2019-20 में पोर्टल दिसम्बर की शुरुआत में ही खोल दिया जिससे स्कूलों की मान्यता तय समय पर हो गई। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2020-21 की मान्यता के लिए अभी तक पोर्टल नहीं खुला है। इसके चलते नए स्कूलों की नौवी-ग्यारवीं की मान्यता और पुराने की मान्यता नवीनीकरण के नियम भी स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। गौरतलब है कि आरटीई एक्ट लागू होने के बाद से लगभ हर वर्ष स्कूलों की मान्यता प्रक्रिया में देरी हुई है। यदि अक्टूबर- नवम्बर में पोर्टल खुल जाए तो प्रक्रिया समय पर पूरी हो सकती है। लेकिन इस वर्ष ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
स्कूलों की मान्यता समय से और तय मापदंडो के अनुसार होनी चाहिए, देरी से स्कूल संचालकों के साथ उन स्कूलों में प्रवेश ले चुके लाखों विद्यार्थी भी प्रभावित होते हैं, इसलिए प्रक्रिया तय समय में पूरी किया जाना जरूरी है।
अजीत सिंह, प्रदेशाध्यक्ष, निजी स्कूल एसोसिएशन
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