लेकिन यहां अपडेशन में रुचि नहीं ली जा रही है। बैंक-पोस्ट ऑफिस में नामांकन पर ही जोर दिया जा रहा है। इसके चलते बच्चों के आधार कार्ड में संशोधन को लेकर परेशानी खड़ी हो गई। जबकि डेढ साल पहले तक अकेले भोपाल में ही २०० से ज्यादा सेंटर चल रहे थे। इधर, एसइडीसी का तर्क है कि जैसे ही स्कूलों में प्रवेश शुरु होते हैं हर साल अपडेशन के लिए हजारों प्रकरण सामने आते हैं। इस साल भी मुख्यालय स्तर पर १० प्रकरण रोजाना सामने आ रहे हैं।
हर जिले में औसतन ५० प्रकरण रोजाना अपडेशन को लेकर आ रहे हैं, लेकिन लंबी कतार लगाना पड़ रही है। इसमें भी सबसे अधिक प्रकरण जन्म वर्ष को लेकर आ रहे है। लेकिन सीमित केंद्र होने के कारण और परेशानी बढ़ गई है। इस बारे में जब एसईडीसी के डिप्टी जनरल मैनेजर कमल कोरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर यूआइडीएआई के दिशा-निर्देशों में बदलाव होता है, जिनके पालन में काम होता है। उन्होंने बताया कि अभी नामांकन भी चल रहे और अपडेशन भी हो रहे हैं।
दो-तीन साल कम करने के आवेदन जन्म तिथि के अलावा जन्म वर्ष २ से ३ साल तक कम करने के औसतन ६० आवेदन रोजाना आ रहे हैं। इतने साल कम होने के कारण कई मामले यूआइडीएआई के दिल्ली कानूनी शाखा को भेजे जा रहे हैं। इसलिए भी आवेदनों की लंबी कतार लग रही है। एक साल के अंतर वाले आवेदनों में आसानी से अपडेशन कर दिया जा रहा है, लेकिन एक से अधिक साल के अंतर वाले सभी प्रकरण कानूनी सलाह के बाद ही सुलझाए जा रहे हैं।
प्रदेश में २ हजार केंद्र शहर में कुछ बैंक, पोस्ट ऑफिस के अलावा महज २२ केंद्रों पर ही आधार नामांकन और अपडेशन का काम हो रहा है। इसी तरह प्रदेशभर में महज २ हजार ही केंद्र संचालित है। जबकि करीब १ साल पहले एक शहर में कई केंद्र थे, जिससे आसानी हो जाती थी। लेकिन जिन केंद्रों पर धांधलियां सामने आई, उन्हें यूआइडीएआई ने बंद कर दिया। इसके कारण अब कुछ ही केंद्र बचे हैं, वह भी सरकारी कार्यालयों के परिसरों में।