460 में से 58 कॉलेज में ग्रंथपाल प्रदेश में ग्रंथपालों की कमी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 460 कॉलेजों में से केवल 58 में ही ग्रंथपाल के नियमित पदों पर लोग काम कर रहे हैं। बात करें शहर की तो यहां हमीदिया कॉलेज जैसे बड़े संस्थान में बाबू स्तर के कर्मचारियों के भरोसे लाइब्रेरी संचालित हो रही हैं। शहर में 10 सरकारी, अर्ध सरकारी कॉलेजों में से केवल 5 में ई-लाइब्रेरी हैं और बाकी में आज भी रजिस्टर में एंट्री कर काम चलाया जा रहा है।
पीएससी में पास, लेकिन नहीं मिली नौकरी
सहायक प्राध्यापकों से इतर 218 ग्रन्थपाल और 214 क्रीड़ा अधिकारियों के परीक्षा परिणाम और प्रक्रिया पर कोई विवाद नहीं है। सरकार इनके पद भी मंजूर कर चुकी है, लेकिन नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा आयुक्त डीपी आहूजा के पद संभालने के बाद अब तक चयनितों को उनसे मिलने नहीं दिया गया है। चर्चा के लिए उच्च शिक्षा आयुक्त से मिलने ग्रंथपाल संघ ने मिलने का समय मांगा है।
सहायक प्राध्यापकों से इतर 218 ग्रन्थपाल और 214 क्रीड़ा अधिकारियों के परीक्षा परिणाम और प्रक्रिया पर कोई विवाद नहीं है। सरकार इनके पद भी मंजूर कर चुकी है, लेकिन नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा आयुक्त डीपी आहूजा के पद संभालने के बाद अब तक चयनितों को उनसे मिलने नहीं दिया गया है। चर्चा के लिए उच्च शिक्षा आयुक्त से मिलने ग्रंथपाल संघ ने मिलने का समय मांगा है।
उच्च शिक्षा विभाग को सभी तथ्यों से अवगत करा दिया गया है। शासन की ओर से बार-बार सिर्फ कार्रवाई का भरोसा दिया जाता है। चयनित उम्मीदवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
प्रभाकर पांडे, अध्यक्ष, मप्र ग्रंथपाल संघ
प्रभाकर पांडे, अध्यक्ष, मप्र ग्रंथपाल संघ
ग्रंथपाल और स्पोट्र्स अधिकारियों की नियुक्ति संबंधित प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। विभागीय मंत्री के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। मंजूरी आते ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
हरिरंजन राव, प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग
हरिरंजन राव, प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग
सीधी बात, जीतू पटवारी, उच्च शिक्षा मंत्री
सवाल-ग्रंथपाल-स्पोट्र्स ऑफिसरों को आखिर क्यों अब तक नियुक्ति नहीं दी जा सकी।
जवाब- हमारी सरकार बनने के बाद मैंने सूची मंगवाई थी। प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए थे।
सवाल-प्रक्रिया के नाम पर विभाग के अफसरों ने पूरा एक वर्ष का लंबा समय कैसे लगा दिया।
जवाब- मुझे ये बताया गया कि न्यायालयीन निर्देशों का पालन करने के लिए कई बार प्रक्रिया बदली गई इसलिए ज्यादा वक्त लगा।
सवाल- क्या असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां टलने के कारण ये मामला भी टाला जा रहा है।
जवाब- नहीं ऐसा नहीं है, लेकिन मेरा प्रयास ये है कि सभी को एक साथ नियुक्ति मिल जाए।
सवाल- लेकिन अतिथि विद्धानों को संतुष्ठ किए बगैर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती कैसे करेंगे।
जवाब- पीएससी चयनित उम्मीदवारों का संवैधानिक रूप से नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार है। अतिथियों का भविष्य सरकार जल्द तय कर देगी।