इस प्रस्तुति में महात्मा गांधी के बचपन से लेकर मृत्यु तक के सफर को कलाकारों ने अपने कलात्मक कठपुतली संचालन कौशल से मंचित किया। इस प्रस्तुति को लगभग 150 कठपुतलियों की मदद से मंचित किया गया। इस प्रस्तुति में दर्शकों को महात्मा गांधी की रियल रिकॉर्डेड आवाज भी सुनने का अवसर मिला।
प्रस्तुति की समय सीमा एक घंटा रही। इसका निर्देशन मिथिलेश दुबे ने किया। छड़ कठपुतली शैली में स्क्रीन के पीछे से कठपुतली कलाकार छड़ी से इन्हें नियंत्रित करता है। यह पूर्वी भारत की लोकप्रिय शैली है। प्रस्तुति के दौरान मिथिलेश दुबे, अनिल कुमार, सूरज कुमार, पंकज कुमार, विशाल कुमार, हर्ष राम और हर्ष ने अपने कलात्मक कठपुतली संचालन कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।