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भोपाल

सम्मान पर सवाल : 18 शिखर सम्मानों में 12 भोपाल को, छह प्रदेश के अन्य लोगों के खाते में

चयन पर भी सवाल उठाए साहित्यकारों और रंगकर्मियों ने

भोपालNov 27, 2021 / 08:49 am

दीपेश अवस्थी

भोपाल। संस्कृति विभाग द्वारा हाल ही में घोषित प्रतिष्ठित सम्मानों पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप हैं कि इसमें योग्यता को दरकिनार रखते हुए अपनों को उपकृत करने का प्रयास किया गया। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योकि घोषित कुल 18 शिखर सम्मानों में से 12 भोपाल के लोगों को दिए गए, जबकि मध्यप्रदेश के अन्य शहर, गांव, कस्वों में भी बेहतर साहित्यकार, रंगकर्मी, कलाधर्मी मौजूद हैं, लेकिन इनको नजर अंदाज कर दिया गया। इस मामले में साहित्यकार खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे लेकिन वे ऐसे पुरुस्कारों पर सवाल जरूर उठा रहे हैं। वहीं विभाग ने इस मामले में चुप्पी साध ली है।
संस्कृति विभाग ने हाल ही में वर्ष 2019 और 2020 के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान, कालिदास सम्मान, अशोक कुमार सम्मान, लता मंगेशकर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, इकबाल सम्मान, शरद जोशी सम्मान, नानाजी देशमुख सम्मान, कुमार गंधर्व सम्मान और शिखर सम्मानों की घोषणा की है। घोषित नामों ने लोगों को चौंका दिया क्योंकि जिनके नाम इसमें शामिल किए गए हैं, प्रदेश में उनसे भी योग्य लोग निवास करते हैं। ऐसे में चयन समिति के निर्णय पर भी सवाल उठ रहे हैं। समिति ने किस आधार पर इन्हें नजर अंदाज कर दिया।
ऐसा भी हुआ 
सूत्रों के मुताबिक शिखर सम्मान के लिए दिनेश चंद्र दुबे प्रदीप दीक्षित, प्रेम गुप्ता, कन्हैयालाल कैथवार की समिति ने रंगकर्मी संजय मेहता और सतीश दवे के नाम की अनुशंसा की थी। वहीं कालीदास सम्मान के लिए गठित चयन समिति ने दीप्ती ङ्क्षसहा और प्रेम गुप्ता के नाम की अनुशंसा की थी। इस चयन समिति में जयंत देशमुख, सतीश दवे और संजय मेहता शामिल रहे। लेकिन यह अनुशंसाएं लीक हो गईं। सूत्रों का कहना है कि विभाग ने दूसरी चयन समिति गठित की और उसी समिति ने नामों पर विचार किया और फिर नाम घोषित किए गए।
आधा दर्जन पुरस्कारों में प्रदेश का नाम नहीं
घोषित किए गए पुरस्कारों में आधा दर्जन पुरस्कार ऐसे हैं जिनमेें मध्यप्रदेश का एक भी नाम शामिल नहीं है। इनमें कालिदास सम्मान (शास्त्रीय संगीत), कालिदास सम्मान (शास्त्रीय नृत्य), कालिदास सम्मान (रूपांकर कलाएं), कालिदास सम्मान (रंगकर्म), किशोर कुमार सम्मान, लता मंगेश्कर सम्मान, इकबाल सम्मान, कुमार गंधर्व सम्मान शामिल हैं। इनमें नोयडा, दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, बड़ौदा, लखनऊ, पटना, इलाहाबाद के निवासी शामिल हैं।
किसने क्या कहा
संस्कृति विभाग ने पहल की और सम्मानों की प्रक्रिया को पूरा किया। जबकि कुछ समय पूर्व सम्मानों में विवाद खड़े हो गए थे। उन विवादों को सुलझाते हुए पुरस्कार घोषित किए। सम्मान की सूची में जिनके नाम शामिल हैं, वे सही हो सकते हैं, लेकिन जो सक्रिय हैं, वरिष्ठ हैं, बड़े नामों को अनदेखा किया जाना अजीब लगा। चयन समिति की दृष्टि विशाल होना चाहिए थी।
अशोक बुलानी, वरिष्ठ रंगकर्मी
सम्मानों का निर्णय चयन समिति करती है। समिति का निर्णय अंतिम होता है। इस मामले में विभाग का कोई दखल नहीं होता। समिति ने जिन नामों की अनुशंसा की उसे घोषित कर दिया गया।
अदिति कुमार त्रिपाठी, संचालक संस्कृति विभाग

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