मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जब एक ही विधानसभा में तीसरा प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया हो। लेकिन 15वीं विधानसभा को प्रोटेम स्पीकर मिले। 15वीं विधानसभा के शुरूआत में दीपक सक्सेना, दूसरी बार जगदीश देवड़ा और तीसरी बार रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर बने।
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर – प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ होता है – कुछ समय के लिए। जब लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती तब तक के लिए इसकी नियुक्ति होती है। संसदीय परंपरा के मुताबिक सदन वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है, लेकिन आमतौर पर सत्तारूढ़ दल जिस विधायक का नाम प्रस्तावित करता है राज्यपाल उसे ही प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर देता है।
रामेश्वर शर्मा के प्रोटेम स्पीकर बनने पर विधानसभा के प्रमुख सचिव
ए.पी. सिंह ने उनसे सौजन्य भेंट की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने सदन में विधायकों की बैठक व्यवस्था और सोशल डिस्टेंसिग के संबंध में चर्चा की। कोरोना संक्रमण के चलते सदन में इस बार सोशल डिस्टेंसिंग किसी चुनौती से कम नहीं है।