यही वजह कि दुष्कर्म, हत्या, छेड़छाड़, आइटी एक्ट संबंधी अपराध बढ़ते जा रहे हैं। वहीं न्याय पाने पीडि़ता उसके परिजनों को थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, अपमानित होना पड़ता है। मनुआभान की टेकरी में बुधवार को 8वीं की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हुई हत्या पुलिस की सुरक्षा दावों की पोल खुद खोल रही है।
फैक्ट फाइल:
– 2017 में 2991 संगीन अपराध।
– 2018 में पिछले साल के मुकाबले 3461 अपराध।
– 2019 में मार्च तक 855 अपराध कायम हुए। जो 2018 के तीन माह के मुकाबले अधिक।
– भोपाल पुलिस में करीब 350 महिला पुलिसकर्मी अलग-अलग थानों में पदस्थ।
– शहर में 12 लाख से अधिक महिलाओं की आबादी।
– 600 से अधिक शहर में शैक्षणिक संस्थान।
हकीकत: कागजों तक सीमित। न तो सेल में कर्मचारी हैं, न ही बनाए गए नियम-कानून फॉलो हो रहे हैं।
हकीकत: कभी-कभार देखने को मिलेंगे। वाहन का उपयोग घरेलू काम के लिए हो रहा है।
हकीकत: अधिकतर संस्थान में बॉक्स तो हैं, लेकिन अब न तो खोला जाता है और न ही उसमें शिकायतों का निस्तारण होता है।
हकीकत: कई थानों में महिला हेल्प डेस्क का प्रिंट चस्पा तो है, लेकिन न तो महिला पुलिस कर्मी हैं और न त्वरित कार्रवाई हो रही।
5. मोबाइल ऐप : त्वरित मदद के लिए मोबाइल सेफ्टी ऐप शुरू किए गए। एमपी ईकॉप, डब्ल्यूसेफ्टी ऐप इसमें प्रमुख था।
हकीकत: प्रचार-प्रसार नहीं होने से ऐप 20 हजार डाउनलोड का आंकड़ा नहीं पूरा कर पाया।
हकीकत: शहर में तीन फीसदी दुष्कर्म पीडि़ताओं को ही मदद मिल पाती है। चार साल में 15 फीसदी राशि ही खर्च हो सकी।
हकीकत: 10 फीसदी पीडि़ताओं को ही पुलिस सेंटर तक भेजती है। 8. सीसीटीवी कैमरे : छात्राओं से दुव्र्यवहार पर अंकुश लगाने सीसीटीवी कैमरे, रात में अंधेरे रास्तों में रोशनी की व्यवस्था।
हकीकत: 30 फीसदी संस्थानों में कैमरे नहीं। मुख्य मार्गों के साथ अन्य रास्तों में लाइट नहीं लगीं।
हकीकत: कुछ बसों को छोड़ अब तक कुछ भी नहीं हुआ। न ही हेल्पलाइन नंबर चस्पा किए गए।
हकीकत: दो साल पहले 20 ऐसे स्पॉट पुलिस ने चिह्नित किए, उनमें ही चौकसी नहीं। सालों से सेफ्टी ऑडिट नहीं हुई।