कहीं स्कूल के प्रभारी पर जातिवाद फैलाने के आरोप लग रहे हैं तो कहीं विभाग के आला अधिकारी अपने रिश्तेदार या पहचान वाले को रखने के लिए प्रभारी पर दबाव बना रहे हैंं। कुल मिलाकर ये है कि जिले में शायद ही ऐसा कोई स्कूल हो जहां अतिथि शिक्षक atithi shikshak रखने को लेकर विवाद उत्पन्न न हुआ हो।
इस साल शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर सबसे पहला विवाद विभाग के ही पोर्टल ने उत्पन्न किया है। क्योंकि इस पर स्कूल में खाली पड़े व भरे पदों से संबंधित जानकारी गलत फीड की गई है। जिसकी वजह से पात्र आवेदक न तो फार्म भर सके और न ही जिन स्कूलों में शिक्षकों की वास्तविक जरुरत थी उन्हें शिक्षक guest teachers recruitment मिल सके। या तो दूसरे स्कूल में चले गए हैं या स्वर्ग सिधार गए हैं इसके बाद भी उक्त विद्यालय के पोर्टल में उनका नाम चल रहा है।
शिक्षा विभाग में पहलीवार कमलनाथ सरकार ने ऑनलाइन स्थानांतरण online transfer किये हैं। शिक्षामंत्री एक वीडियो जारी कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि शिक्षा की व्यवस्था चरमरा System collapsed गई है।
केस 1: मधुसूदनगढ़ क्षेत्र के एक स्कूल में अतिथि शिक्षक guest teachers पद पर आवेदन करने वाले आवेदक ने अपनी शिकायत में बताया था कि उसने निश्चित तिथि पर विधिवत ऑनलाइन आवेदन Online Application किया था। नंबरों के आधार पर उसका पहला स्थान था। फिर भी स्कूल के प्रभारी ने उसे वहां नियुक्त नहीं होने दिया।
गुना में पत्रिका ने जब स्कूल प्रभारी पर दबाब डालने वाले शिक्षक पुरुषोत्तम भार्गव से पूछा तो वे पहले घबड़ा गए उन्होंने पत्रिका को चर्चा के दौरान बताया कि अपने कंवर साहब को नौकरी पर रखने के लिए स्कूल प्रभारी से जरूर कहा था। लेकिन मैंने स्कूल प्रभारी पर ज्यादा कोई दबाब नहीं डाला। केवल सामान्य रूप से नियुक्ति के लिए कहा था। सीएसी से मैंने जरूर कहा था, उन्होंने स्कूल प्रभारी से फोन पर बात की होगी। ऑडियो वायरल हो रहा है तो इसका मुझे नहीं मालूम।
सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए 50 हजार रुपए तक वेतन दे रही है। इसके बावजूद यह शिक्षक स्कूल तक नहीं जा रहे हैं। यही नहीं जिले में कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां मोटा वेतन पाने वाले शिक्षकों ने 3 से 5 हजार रुपए में ठेके पर ही शिक्षक रख लिए हैं।
पोर्टल पर गलत जानकारी फीड होने से कुछ स्कूलों में दो दो प्रधानाध्यापक हो गए हैं। तो कहीं पद रिक्त न होते हुए भी शिक्षक भेज दिए गए हैं। मावि घोसीपुरा में हेड मास्टर बद्रीप्रसाद गांठे पदस्थ है फिर भी यहां हरि बुनकर को भेज दिया गया।
स्कूल प्रभारी- हां बोलो
शिक्षक भार्गव- कौन- मैं बोल रहा हूं प्रदीप
स्कूल प्रभारी- हां बोलो, क्या कह रहे थे
भार्गव- हां मैं यह कह रहा था कि प्रस्ताव और फार्म दे दूं।
स्कूल प्रभारी- आप कौन से स्कूल में हो,कौन से ब्लॉक में आता है।
भार्गव- मैं बरखेड़ा स्कूल में हूं, आरोन में नहीं बमौरी ब्लॉक में आता है।
स्कूल प्रभारी – कौन है आपका बेटा, है क्या
भार्गव: नहीं हमारे कंवर साहब हैं, उन्हें पहले मैंने लगवा दिया था, अब वहां दूसरे का करा दिया है। आपके यहां जगह खाली है वहां करवाना है। सीएसी का फोन आपके पास आया होगा। उन्होंने कंवर साहब को नौकरी पर रखने आपसे कही होगी।
स्कूल प्रभारी- चार-पांच दिन से लगातार फोन तो आ रहे हैं, लेकिन मैं कैसे रख लूं, हमारे यहां पोर्टल पर अतिथि शिक्षक की जगह खाली ही नहीं हैं। जब होगी जगह खाली, तब देखेंंगे।