विधानसभा सचिवालय ने नियुक्ति के लिए एेसी प्रक्रिया अपनाई जिसे पारदर्शी कतई नहीं कहा जा सकता था। इसके तहत सचिवालय के नोटिस बोर्ड पर कुछ घंटे के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर दिया गया और रोजगार कार्यालय से नाम मंगा लिए गए।
सचिवालय में आमजन का प्रवेश नहीं है, इसलिए नोटिस बोर्ड पर विज्ञापन का पता चलने का सवाल ही नहीं उठता, रोजगार कार्यालय से भी उन्हीं लोगों के नाम आए जिसे सचिवालय चाहता था। इनमें एेसे लोग शामिल रहे जिनका पंजीयन हाल ही में हुआ है।
विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने इसी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। उन्होंने अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा को पत्र लिखकर खुली प्रतिस्पर्धा के आधार पर नियुक्ति करने की सलाह दी थी। साथ ही संदेह व्यक्त किया था कि इस तरह की नियुक्तियों को यदि कोई उम्मीदवार ने न्यायायालय, लोकायुक्त या फिर अन्य संस्था में शिकायत कर दी तो विधानसभा सचिवालय शंका के दायरे में आ जाएगा।
चर्चा के बाद लिया फैसला – विधानसभा अध्यक्ष डॉ. शर्मा शुरूआत में तो यही कहते रहे कि नियुक्तियां नियमों के तहत हो रही हैं जबकि उपाध्यक्ष डॉ. सिंह कहते रहे कि वे अपनी बात पर कायम हैं। दोनों नेताओं की चर्चा के बाद शुक्रवार को नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित करने का निर्णय लिया गया। सचिवालय ने यहां होने वाले साक्षात्कार और लिखित परीक्षा भी स्थगित कर दी है।
शंका के दायरे में रही हैं यहां की नियुक्तियां – विधानसभा सचिवालय में होने वाली नियुक्तियां शंका के दायरे में रहीं हैं। श्रीनिवास तिवारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों पर तो तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। ईश्वरदास रोहाणी और फिर डॉ. सीतासरन शर्मा के कार्यकाल में हुई नियुक्तियां उसी तरह से हुई जिस तरह से तिवारी कार्यकाल में हुई थीं।
एेसे चलती रही मनमर्जी – विधानसभा सचिवालय में तो आवास संघ के कर्मचारी केएल दलवानी और महावीर सिंह की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लीं और इनकी सेवाएं यहां मर्ज कर ली गईं। आवास संघ सरकारी महकमा न होकर एक संगठन है, जबकि प्रतिनियुक्ति पर सिर्फ सरकारी महकमे के लोगों की ही सेवाएं ली जाती हैं। एक मंत्री का सुरक्षाकर्मी को रिटायर होने के बाद सचिवालय ने यहां संविदा नियुक्ति दी और मंत्री के यहां फिर से सुरक्षाकर्मी के तौर पर पदस्थ कर दिया गया। इसी तरह यहां हाल ही में सहायक ग्रेड एक के ९, स्टेनोग्राफर के ९ और रिपोर्टर के पदों पर नोटिस बोर्ड में विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती कर ली गई।
विधानसभा सचिवालय में की जा रही नियुक्तियों को स्थगित कर दिया गया है। उम्मीदवारों के होने वाले साक्षात्कार अब नहीं होंगे। – अवधेश प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव मप्र विधानसभा