दरअसल, पिछली शिवराज सरकार में वकीलों के खर्च पर काफी खर्च किया गया था। इसके चलते कमलनाथ सरकार ने इस प्रकरण का रिव्यु किया है। इसमें केस को लेकर दिल्ली दौड़ पर सबसे ज्यादा नाराजगी रही। हर केस पर भोपाल से दिल्ली अफसर जाते रहे हैं, जबकि अनेक बार तो केवल तारीखें ही बढ़ाई गई। सुप्रीमकोर्ट में इस केस को लेकर सरकार पूरे प्रकरण का नए सिरे से रिव्यु करने की तैयारी भी कर रही है। इसके लिए विधि विभाग से भी राय मांगी गई थी। इस प्रकरण में राज्य के महाधिवक्ता को भी सीधे प्रकरण की मानीटरिंग के लिए कहा गया है, ताकि कानूनी पहलुओं की पूरी जानकारी सरकार के स्तर पर अपडेट रहे। दिल्ली स्थित एमपी-भवन के आवासीय आयुक्त भी राज्य के महाधिवक्ता से समन्वय करके प्रकरण की पूरी रिपोर्ट सरकार को देंगे।
वकीलों के पैनल का रिव्यु होगा-
कमलनाथ सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में केस लडऩे वाले वकीलों के पैनल का भी पूरा रिव्यु करना तय किया है। इसके तहत जिन केसों में लगातार मध्यप्रदेश सरकार को झटका लग रहा है, उन प्रकरणों को विशेष तौर पर देखा जाएगा। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अभी तक स्थिति ठीक नहीं रही है। इसलिए इसके केस को देख रहे वकीलों की परफार्मेंस का भी रिव्यु होगा।
मप्र में बन चुकी है कमेटी-
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर मप्र में पहले ही दो कमेठियां गठित हो चुकी है। पहले जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम कमलनाथ कमेटी की घोषणा की थी। हालांकि इसका आदेश अभी जारी नहीं हुआ है। वहीं जीएडी मंत्री डा. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में अलग से कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी भी कानूनी पहुलओं का आकलन करेगी। वजह ये कि बिना प्रमोशन के बड़ी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस बार ३१ मार्च २०२० को थोकबंद कर्मचारी सेवानिवृत्त होना है, इस कारण सरकार के स्तर पर चिंता ज्यादा है।
इनका कहना-
प्रमोशन में आरक्षण केस के लिए अफसरों के दिल्ली में बार-बार जाने की प्रवृत्ति पिछली सरकार में थी, इसे हम रोक रहे हैं। एमपी-भवन के आवासीय आयुक्त को कहा है कि वे पूरे केस की सतत् मानीटरिंग करेंगे। अब भोपाल से अफसर नहीं जाएंगे। इसके अलावा वकीलों के पैनल को लेकर भी रिव्यु कर रहे हैं। – डा. गोविंद सिंह, मंत्री, जीएडी, मप्र