यह पूरा वाक्या गांधी नगर से लालघाटी तक दौड़ रहे आटों का है। जो सैकड़ो की तदाद में संचालित हो रहे है। यह आपे दिनोंदिन बढ़ते जा रहे है और इनमें से आधे से ज्यादा का फिटनेस नहीं है। आगे निकलने की होड़ में आपे चालक बीच रोड़ पर रोककर सवारियां बिठाते है जिससे मुख्य मार्ग पर जाम के हालत भी बन जाते है।
गांधी नगर का मुख्य मार्ग बना ऑटो स्टैंड
गांधी नगर थाने के सामने मुख्य मार्ग पर आये दिन जाम की स्थिति बन जाती है जिससे कई बार तो दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। आटो चालक गांधी थाने के सामने सवारी बिठाने के लिए खड़ा कर देते है और सवारियों को बिठाते है। यहां पर बड़ी संख्या में आटो खड़े हो जाने से मुख्य मार्ग पर जाम लग जाता है। कई बार तो सवारी बिठाने के चक्कर में आटो चालाकों में हाथापाई तक की नौबत आ जाती है।
हर वर्ष जारी होता है फिटनेस सर्टिफिकेट
वाहनों के सडक़ पर उतरने से पहले उनकी फिटनेस की जांच जरूरी है। कंपनी से नया वाहन खरीदने के दो वर्ष तक सडक़ पर चलाया जा सकता है। परंतु इसके बाद व्यवसायिक वाहनों को हर वर्ष सडक़ पर चलने के लिए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है।
वाहनों की फिटनेस जांच के लिए सप्ताह मे दो दिन निर्धारित भी होते है। तय मानदंडों को पूरा करने वाले वाहन ही चलने के काबिल माने जाते हैं। फिटनेस के लिए बने इन नियमों के आधार पर ही खेल चलता है।
नियमों के अनुसार फिटनेस के लिए सडक़ पर उतरने वाले वाहनों के लिए सबसे पहले स्पीड गवर्नर की जरूरत है। इसके बाद हैड लाइट, कलर रिफ्लेक्टर, रेडियम टेप, टैक्स, परमिट तथा कोहरे में फाग लाइट की अनिवार्यता होती है।
संदिग्ध वाहनों की रोज होती है जांच
&संदिग्ध वाहनों की नियमित चेकिंग की जाती है तेज रफ्तार वाहनों एवं बिना फिटनेस के दौड़ रहे वाहनों के लिये विेशेष चेकिंग कर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। बिना नंबर वाले वाहनों पर भी कार्रवाई होगी ताकि यातायात व्यस्थित हो।
महेन्द्र सिंह चौहान, थाना प्रभारी, बैरागढ़