एक हजार करोड़ से बन रहे भोपाल एम्स में 24 वार्ड हैं, इनमें 550 बिस्तर मौजूद हंै। छह महीने में बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर 960 करने का लक्ष्य है। अभी 12 ऑपरेशन थिएटर चल रहे हैं और जल्द ही 40 ओटी का नया ओटी कॉम्प्लेक्स शुरू होने वाला है। इसके साथ ही आयुष विंग, मेडिकल कॉलेज और ऑडिटोरियम भी मौजूद हंै।
एम्स के वार्ड या ब्लॉक को कोई भी गोद ले सकता है। इनमें आम आदमी से लेकर सरकारी संस्था, प्राइवेट कंपनी, सामाजिक संस्था कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत भी गोद लिया जा सकता है ।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के रेडियोडाग्नोसिस विभाग से डॉ. अभिजीत पाटिल और चंद्रप्रकाश अहिरवार ने भी इस्तीफा दे दिया। अब एमआरआई मशीन संचालन के लिए चार चिकित्सक बचे हैं। जांच की वेटिंग बढ़ जाएगी।
गौरतलब है कि चार साल में कॉलेज से करीब 24 चिकित्सक जा चुके हंै। बड़ा सवाल है कि आखिर 80 हजार के आसपास वेतन पाने वाले डॉक्टर क्यों इस्तीफा दे रहे हैं। चिकित्सकों का कहना था कि वेतन कोई मुद्दा नहीं है। विभाग में प्रमोशन की जटिल प्रक्रिया, संसाधनों के अभाव के साथ ही बाहर आगे बढऩे के बेहतर विकल्प ही प्रमुख कारण हैं।
सरकार के प्रयासों को झटका: डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए केन्द्र ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रति पीजी सीट के लिए कॉलेजों को 1.10 करोड़ तक दिए जा रहे हैं।
डॉ. नीलकमल कपूर, डॉ. राजेश मलिक, डॉ. शिखा मलिक, डॉ. भावना शर्मा, डॉ. रक्षा बामनिया, डॉ. अनीता शर्मा, डॉ. अनीता बनर्जी, डॉ. जयंती यादव, डॉ. अवनीत अरोरा, डॉ. करन पीपरे, डॉ. सारांश जैन, डॉ. प्रियंका जैन, डॉ. अटवाल समेत अन्य।
हमीदिया अस्पताल में रोजाना दो हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीजों के हिसाब से संसाधनों का न होना और विवाद के चलते डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस को बेहतर मानते हैं।