– इको माइन टूरिज्म का प्रयोग
डब्ल्यूसीएल ने इको माइन टूरिज्म का नया प्रयोग भी शुरू किया है। इसके तहत खदान के ऊपर इको पार्क बनाया गया है। यह देश में अपनी तरह का पहला पार्क है। यहां लोगों को ओपन और अण्डरग्राउंड माइन देखने का मौका भी मिलता है। पर्यटकों को मैन राइडिंग सिस्टम के माध्यम से कोयला खदान में 156 मीटर नीचे तक ले जाया जाता है। पर्यटक खदानों में प्रवेश करने से पहले खनन पर्यावरण के बारे में जान सकते हैं। अब तक करीब ढाई लाख पर्यटक इको पार्क आ चुके हैं।
– खदानों के पानी से तैयार होता कोल नीर
कोयला खदानों से निकलने वाले पानी का शुद्धिकरण किया जा रहा है। कंपनी कोल नीर तैयार कर स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आसपास के इलाकों में सप्लाई करती है। इस माइन वाटर यूटिलाइजेशन परियोजना के परिणाम भी अच्छे मिल रहे हैं। इससे क्षेत्र का जलसंकट दूर हो रहा है। वहीं, लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
नदियों से लगातार रेत निकाली जा रही है। कोयला खदानों की गिट्टी, पत्थर आदि से रेत बनाना इसका बेहतर विकल्प है। पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से यह बड़ा कदम है।
– तरुण त्रिवेदी, डिप्टी जनरल मैनेजर, डब्ल्यूसीएल
कोल नीर का प्रयोग सफल है। इससे क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है। यह जल स्व-सहायता समूहों के माध्यम से गांवों में सप्लाई किया जा रहा है।
– आरएस सिंह, सब एरिया मैनेजर, ग्रुप ऑफ माइंस
नवाचारों से लोगों को रोजगार के साथ कंपनी का मुनाफा बढ़ा है। राजस्व बढऩे का लाभ आसपास के क्षेत्र को भी मिल रहा है। यहां कंपनी के माध्यम से विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
– एसपी सिंह, एडवाइजर पीआर, वेस्टर्न कोल फील्ड्स