लवानिया भी इससे खुश हैं और उन्होंने विभाग प्रभारियों को फ्री हैंड देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि खर्च की तुलना में सुंदरता का काम हकीकत में नजर भी आना चाहिए। जिनका काम नजर आएगा, उनसे खर्च पर सवाल नहीं होंगे, जो सिर्फ खर्च करेंगे, लेकिन सौंदर्यीकरण नजर नहीं आएगा, उन पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
इस तरह निगम में स्वच्छ सौंदर्यीकरण की होड़
उद्यान शाखा के उपायुक्त बीडी भूमरकर पार्कों का रंगरोगन करा रहे हैं। 28 ऐसे पार्क और स्थान चुने जिनमें स्टील की कुर्सियां, टेबल लगाने व उजाड़ स्थलों पर पौधरोपण कर उसे सुंदर बनाने की कवायद है। सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। जोन-नौ के सिविल इंजीनियर डीके शर्मा दीवारों का रंगरोगन, थ्रीडी पेंटिंग से लेकर वॉल पेंटिंग तक का काम करा रहे हैं। जोनस्तर पर संबंधित जोन के सिविल इंजीनियरों को भी इससे जोड़ा है। निगम का स्वास्थ्य विभाग संबंधित एएचओ के माध्यम से शहर के कचराघरों को खत्म करने के साथ ही यहां पर सिविल शाखा की मदद से सार्वजनिक बैठक स्थल के तौर पर विकसित कर रहा है। निगम का जलकार्य विभाग में इसमें पीछे नहीं हट रहा। उसने अपनी जमीन से बाहर नजर आ रही पाइप लाइनों पर पेंटिंग कर सुंदरता बढ़ाने की कवायद शुरू की है। 18 पाइन लाइन पर ऑयल पेंट से पुताई चल रही है। स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए प्रोजेक्ट टीम है जो नोटिफाइन 125 स्लम में दीवारों, सडक़ों पर मांडना व अन्य पेंटिंग से सौंदर्यीकरण की कवायद कर रही है। भवन अनुज्ञा शाखा के इंजीनियर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट से सीएंडडी मटेरियल का अंदर ही रखने और आसपास की सडक़ों को निर्माण सामग्री से मुक्त रखने का काम कर रहे हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए सभी विभागों को काम करने के लिए निगमायुक्त ने कहा है। सभी अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, जो नजर भी आ रहा है। सुंदरता बढऩे से स्वच्छता स्वयं ही बेहतर होगी।
– ओपी भारद्वाज, सिटी इंजीनियर प्रोजेक्ट, स्वच्छ भारत मिशन