आठवीं से ज्यादा पढ़ी महिलाएं प्राइवेट स्कूलों में कराती हैं बच्चों का दाखिला
– निरक्षर महिलाओं के बच्चे जाते हैं सरकारी स्कूल- प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन का वार्षिक सर्वेक्षण
आठवीं से ज्यादा पढ़ी महिलाएं प्राइवेट स्कूलों में कराती हैं बच्चों का दाखिला
भोपाल : प्रदेश की प्राथमिक कक्षा के छात्रों की पढ़ाई पर किए गए सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि जो महिलाएं आठवीं कक्षा पास हैं या उससे ज्याादा पढ़ी हैं वे अपने बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूल में कराती हैं। यानी थोड़े भी पढ़े लिखे माता-पिता की शिक्षा का असर उनके बच्चों पर पड़ता है। वहीं जो महिलाएं साक्षर नहीं होती उनके बच्चे सरकारी स्कूल में दाखिला लेते हैं। ये सालाना सर्वेक्षण लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन संस्था ने किया है। राष्ट्रीय स्तर पर किए गए इस सर्वेक्षण में प्रदेश के भोपाल और सतना को लिया गया है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट स्कूल शिक्षा विभाग को भी सौंप दी है।
भाषा और गणित से आंकलन :
बच्चों के कौशल विकास का आंकलन उनके भाषा ज्ञान और गणित के बारे में समझ से किया जाता है। इससे यह निष्कर्ष भी निकला है कि बच्चों को पढ़ाते या सिखाते समय खेल-आधारित गतिविधियों पर ध्यान देने से बच्चों में सशक्त याद्दाश्त, तार्किक व रचनात्मक सोच, समस्या समाधान जैसे गुणों का विकास होता है जो इस उम्र में किताबी ज्ञान से ज्यादा फायदेमंद है। इन छोटे बच्चों के बीच भी लड़कों और लड़कियों के नामांकन के पैटर्न अलग दिखाई देते हैं। जिसमें लड़के निजी और लड़कियां सरकारी संस्थानों में ज्यादा दाखिला लेते हैँ। उम्र के साथ यह अंतर और बढ़ता जाता है। 4-8 आयु वर्ग के 90त्न से अधिक बच्चे स्कूल में दाखिला लेते हैं। एडमिशन न लेने वालों में 5 साल की उम्र के लिए भोपाल में 6.5 फीसदी और सतना में 7.4 फीसदी है ।
– सरकार लगातार स्कूल शिक्षा में सुधार कर रही है। बच्चों की नींव मजबूत हो इसके लिए प्रायमरी स्कूल से ही उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। सौ फीसदी बच्चे स्कूल में दाखिला लें इसके लिए भी सरकार अभियान चला रही है। – डॉ प्रभुराम चौधरी स्कूल शिक्षा मंत्री –