scriptMission Shakti: मिशन शक्ति में काम कर रहे साइंटिस्ट को ही नहीं थी खुफिया मिशन की जानकारी | Scientists working in mission power were not only aware of intelligen | Patrika News
भोपाल

Mission Shakti: मिशन शक्ति में काम कर रहे साइंटिस्ट को ही नहीं थी खुफिया मिशन की जानकारी

Mission Shakti DRDO scientist Dr U Rajababu- मिशन शक्ति के डायरेक्टर डॉ. यू राजाबाबू ने कहा- सैटेलाइट को मिसाइल से भेदने का काम हमारे लिए चैलेंज था। यह पूरा मिशन टॉप सीके्रट था। कुछ चुनिंदा साइंटिस्ट को ही इसकी जानकारी थी।

भोपालSep 21, 2019 / 01:24 pm

hitesh sharma

Dr U Rajababu

Dr U Rajababu

भोपाल। सैटेलाइट को मिसाइल से भेदने का काम हमारे लिए चैलेंज था। यह पूरा मिशन टॉप सीके्रट था। कुछ चुनिंदा साइंटिस्ट को ही इसकी जानकारी थी। सबसे बड़ा टास्क था कि जिस टीम ( Mission Shakti ) को मिशन पर लगाया गया है, उसे इसकी भनक नहीं लगे। हालांकि हमें उसी टीम से काम करवाना था। सात माह तक ये मिशन टॉप सीक्रेट रहा। जब 27 मार्च 2019 को सक्सेसफुल रहा तो हम सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे। हम अपने इंमोशन्स को कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे।


ऐसे रोमांचक अनुभव साझा किए डीआरडीओ के मिशन शक्ति के डायरेक्टर ख्यात वैज्ञानिक ( Mission Shakti DRDO scientist ) डॉ. यू राजाबाबू ने। वह शुक्रवार पत्रिका प्लस से विशेष चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जब इस मिशन ( mishan shakti ) पर काम चल रहा था, तो चार महीने तक सभी साइंटिस्ट पूरी नींद सोए भी नहीं थे और रोजाना 16 घंटे काम करते थे। घर सिर्फ खाना खाने और नहाने जा पाते थे। फैमिली से भी कट गए थे। हम सब के मन में बस इस मिशन की सफलता की धुन सवार थी।

draja.jpg

अधिकांश कचरा नष्ट हो चुका है

उन्होंने ( Dr U Rajababu ) बताया कि कई देशों ने अंतरिक्ष में कचरा बढऩे की बात कही, लेकिन यह सही नहीं है। अधिकांश कचरा नष्ट हो चुका है। हमसे पहले अमेरिका और चीन भी यह प्रयोग कर चुका है। हमने वही सैटेलाइट नष्ट किया जिसकी लाइफ पूरी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि हमने अंतरिक्ष की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रयोग किया। अभी अंतरिक्ष में हजारों की संख्या में कचरा मौजूद है।

mishan shakti : मिशन शक्ति में काम कर रहे साइंटिस्ट को ही नहीं थी खुफिया मिशन की जानकारी

जरा -सी चूक करा सकती थी दो देशों में युद्ध
डॉ. यू राजाबाबू ने बताया कि सैटेलाइट को मिसाइल से भेदने का काम हमारे लिए चुनौतियों से भरा था। गलती से भी हम किसी अन्य देश की सैटेलाइट को हिट कर देते तो यद्ध शुरू हो सकता था। केवल बाहर की बात नहीं चैलेंज घर के अंदर भी कम नहीं थे। सबसे बड़ा टास्क था 30 हजार किमी प्रति घंटा की रफ्तार से धरती से 300 किमी ऊपर घूम रहे सैटेलाइट को हिट करना। टारगेट को हिट करने में .5 एमएम की सटिकता जरूरी थी। वरना मिसाइल अंतरिक्ष में मिस हो सकता थी। मिशन में सबसे बड़ी समस्या थी कि हमारे पास ऐसा कोई कम्प्यूटर नहीं था, जो नैनो सेकंड में गणना कर सके। क्योंकि मिसाइल एक सेकंड में 17 किलोमीटर का फासला तय कर लेती है। एक सेंकड में टारगेट को 17 किलोमीटर दूर ले जाता। हमारे पास कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने का समय नहीं था। हमने 200 से ज्यादा टेस्ट किए जो सफल रहे। इसलिए हमें हमारी सफलता पर पूरा विश्वास था।

Home / Bhopal / Mission Shakti: मिशन शक्ति में काम कर रहे साइंटिस्ट को ही नहीं थी खुफिया मिशन की जानकारी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो