दरअसल, गांधीनगर भोपाल स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज द्वारा कुछ मजदूरों को 200-200 रुपए देकर दो घंटे के लिए मरीज बना दिया था, उन्हें बसों में भरकर अस्पताल तक लेकर आए और इसके बाद उनके हाथ में कई गंभीर बीमारियों जैसे-टीबी, आंखों की कमजोरी, बीपी, शुगर, कैंसर, हार्ट आदि के पर्चे थमा दिए। दो घंटे तक तो मरीज बने मजदूर चुपचाप बैठे रहे, लेकिन जब दो घंटे से अधिक समय बीत गया और उन्होंने पैसे मांगे तो यह कहकर टाल गया कि चार दिन बाद एक और टीम आएगी, उसके बाद पैसे देंगे, ऐसे में सुबह से आए मजदूर भूख-प्यास से तड़पने लगे और पैसा नहीं मिलने पर उन्होंने हंगामा कर दिया, तब जाकर ये मामला सामने आया।
मामले की जानकारी मिलने के बाद गौंडवाना छात्र संगठन के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर धरना प्रदर्शन किया। वहां मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता देव रावण ने बताया कि आनंद नगर और अयोध्या नगर क्षेत्र के कई मजदूरों को 200-200 रुपए देकर एक घंटे के कार्यक्रम में सिर्फ बैठने का बोलकर बसों में भरकर लाया गया था, यहां ये मजदूर सुबह 9 से 12 बजे तक बैठे रहे, लेकिन इसके बाद भी पैसे देने से इंकार कर रहे हैं, जबकि ये मजदूर सुबह से भूखे-प्यासे आए हैं। कई घंटों तक बहस और हंगामें के बाद मजदूरों को पैसे दिए गए, इसके बाद मामला शांत हुआ।
पुलिस तक पहुंचा मामला
धरने पर बैठे लोगों ने डायल 100 को सूचना देकर गांधीनगर थाने रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंच गए, जहां पहले पुलिसवालों ने मेडिकल कॉलेज वालों को बुलाया तब जाकर उन्होंने मजदूरों को पैसे देने की हां करी, पुलिस की मौजूदगी में करीब 55 मजदूरों को कुल 34 हजार रुपए दिलाए गए।
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200 रुपए के लिए गंभीर बीमारी
इस मामले में हैरान कर देने वाले बात ये सामने आई कि मेडिकल कॉलेज ने अपनी वाहवाही के लिए नौ जवान मजदूरों को गंभीर बीमारियां बता दी, उनके नाम के पर्चे बनाकर उनके हाथों में थमा दिया, चूंकि मजदूर तो दो वक्त की रोटी के लिए चले आए, लेकिन मेडिकल कॉलेज को अपने यहां निरीक्षण के दौरान मरीज दिखाने के लिए ऐसा काम करना शोभा नहीं देता है।