मान्यता अनुसार इस दिन सभी कलाओं से युक्त चंद्रमा इस दिन अमृत की वर्षा करते हैं, इसलिए इस दिन रात्रि में खुले आसमान के नीचे लोग दूध को उबालते हैं, ताकि चंद्रमा की सीधी किरणे उस दूध पर पड़े। यह औषधियुक्त खीर माना जाती है, जो वर्ष पर्यंत कई तरह की बीमारियों से भी राहत प्रदान करती है। इस दिन कई दमा रोगियों को भी कई जगह औषधियुक्त खीर वितरित की जाती है।
मंदिरों में होंगे आयोजन
शरद पूर्णिमा के मौके पर शहर के मंदिरों में जगह-जगह आयोजन, भजन, कीर्तन होंगे और भगवान को भोग लगाया जाएगा। शहर के गुफा मंदिर, बिड़ला मंदिर, साईबाबा मंदिर शास्त्री नगर, माता मंदिर, भवानी शिव मंदिर हबीबगंज, बांके बिहारी मंदिर मारवाड़ी रोड, श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर, परशुराम मंदिर, साई मंदिर 1100 क्वार्टर सहित अन्य स्थानों पर शरद पूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
राधा-कृष्ण, वटेश्वर और मां भवानी को नौका विहार कराएंगे भक्त
शरद पूर्णिमा के मौके पर भक्त राधा कृष्ण और मां भवानी और वटेश्वर को नौका विहार कराएंगे। हिन्दू उत्सव समिति की ओर से शरद पूर्णिमा के मौके पर घोड़ा नक्कास राधा कृष्ण मंदिर से आकर्षक चल समारोह निकाला जाएगा। यह चल समारोह विभिन्न मार्गों से होता हुआ शीतलदास की बगिया पहुंचेगा। यहां फूलों से सजी नाव पर शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में भगवान को नौका विहार कराया जाएगा। इसी प्रकार बड़वाले महादेव मंदिर समिति की ओर से भी भगवान वटेश्वर और मां भवानी को नौका विहार कराया जाएगा। इस मौके पर संगीतमय भजन होंगे।
गर्भगृह के बाहर निकलेंगे बांके बिहारी
शहर के प्राचीन तलैया स्थित बांके बिहारी मार्र्कंडेय मंदिर में रात्रि में शरद उत्सव मनाया जाएगा। मंदिर के पं. रामनाारायण आचार्य ने बताया कि साल में एक बार शरद पूर्णिमा पर भगवन गर्भगृह से बाहर निकलते हैं। मंदिर प्रांगण में भगवान बांके बिहारी और प्रिया रानी को विराजमान किया जाएगा इसके बाद 51 किलो दूध से खीर बनाई जाएगी और भगवान को भोग लगेगा।
असाध्य रोगों को दूर करती है चंद्र की किरणे
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम ने बताया कि इस दिन पूर्ण चंद्र होता है, जो पूरी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसलिए इस दिन चंद्र आभामय रहता है। मान्यता है कि इस दिन रात्रि में निकलने वाली चंद्र की किरणे कई प्रकार के असाध्य रोगों को दूर करती है। खीर का प्रसाद खाने वाले दमा जैसे रोगों से छुटकारा पाते हैं।