भोपाल

शिवराज सिंह को ना इसकी प्रकिया का पता और ना इसमें उनका तनिक भी योगदान – कमलनाथ

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इन खदानों का झूठा श्रेय लेने की कोशिश करते देख बड़ा ही आश्चर्य हुआ – कमलनाथ

भोपालJun 08, 2020 / 09:20 am

Hitendra Sharma

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व छिन्दवाड़ा के विधायक कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में 2 खदानो के शुभारंभ के बाद सीएम शिवराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा है कि शिवराज सिंह को ना इसकी प्रकिया का पता और ना इसमें उनका तनिक भी योगदान। वही केंद्रीय कोयला मंत्री द्वारा शुभारंभ की गई दो भूमिगत कोयला खदानों को लेकर क्षेत्र की जनता की और से उनका आभार मानते हुए कहा कि कि इन खदानों से स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोज़गार मिलेगा व आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेगी।
कमलनाथ नाथ ने बताया कि इस शुभारम्भ कार्यक्रम के बाद बड़ा ही आश्चर्य हुआ, जब समाचार पत्रों में शिवराज सिंह चौहान को इन खदानों का झूठा श्रेय लेने की कोशिश करते हुए देखा। प्रदेश के वर्तमान में मुख्यमंत्री होने के इन खदानो के शुभारंभ कार्यक्रम में ,वे भी मेरे साथ शुभारंभकर्ता के रूप में उपस्थित थे। क्षेत्र के सांसद नकुल नाथ भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
किसी भी खदान को प्रारंभ करने को लेकर वर्षों की एक बड़ी लंबी प्रक्रिया होती है, इसको लेकर कठिन प्रयास करना पढ़ते है।जिसको वर्षों से मेरे द्वारा ठोस प्रयास कर , क्षेत्र के विकास के लिये कड़ी तपस्या के रूप में अमलीजामा पहनाया गया है। शिवराज सिंह का इसमें तनिक भी योगदान नहीं है , उन्हें तो इसकी प्रक्रिया का भी पता नहीं होगा और ना किस -किस नियम के तहत कोयला खदान खुलती है ,उसका भी ज्ञान होगा ?
वर्ष 1980 में जब में छिन्दवाड़ा का सांसद बना तो एमईसीएल द्वारा पूरे कोयला क्षेत्र में विस्तृत बोरिंग करवाई गई तथा एक कार्ययोजना बनाई गयी कि नई खदानें कहाँ – कहाँ खुल सकती है।उस समय तो ना खदान का नाम पड़ा था और ना उसकी क्षमता पता थी।उसके पश्चात कोयला खदानों की क्षमता व उसकी गहराई के हिसाब से सर्वे हुआ।उसके पश्चात कीमत का आकलन हुआ। छिंदवाड़ा जिले की जिन दो भूमिगत खदानों का शुभारंभ हुआ।उसका शिलान्यास डब्ल्यूसीएल की बोर्ड मीटिंग के पश्चात एक धनकासा खदान का 22 फ़रवरी 2009 को मेरे द्वारा व तत्कालीन केंद्रीय कोयला मंत्री बगदोरिया द्वारा किया गया , वही दूसरी शारदा खदान का पूर्व सीएम उमा भारती द्वारा किया गया।

केन्द्र की कांग्रेस सरकार के दौरान मिली थी वन एवं पर्यावरण विभाग की मंज़ूरी

धनकासा खदान को लेकर 17-18 जून 2008 को डबल्यूसीएल बोर्ड द्वारा क्लीयरेंस दिया गया।इसका शिलान्यास 22 फ़रवरी 2009 को हुआ।इसका संशोधित प्रोजेक्ट 19 सितंबर 2016 को बना।संशोधित प्रोजेक्ट की फ़ाइनल रिकॉस्ट 3 फ़रवरी 2020 को पूर्ण हुई।इसकी भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 15 जनवरी 2011 को जारी हुई।अधिग्रहण का कार्य 4 जनवरी 2014 को पूर्ण हुआ।
वही शारदा खदान को लेकर 4 फ़रवरी 2009 को डबल्यूसीएल बोर्ड ने क्लीयरेंस प्रदान की।इसका संशोधित प्रोजेक्ट व रिकॉस्ट 3 फ़रवरी 2020 को पूर्ण हुई। भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 9 जुलाई 2014 को जारी हुई। वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति 23 दिसंबर 2013 को प्राप्त हुई।
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