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भोपाल

जनता कफ्र्यू जैसा सन्नाटा, लॉकडाउन में घरों में ही रही जनता, बरसात के बाद शाम को कुछ लोग निकले

– इसे कोरोना का भय कहें या जागरुकता, लेकिन अब जनता भी चाहती है कि कोरोना जाए,
– चंद गिने चुने लोगों को छोड़कर लगभग लोगों ने किया कफ्र्यू का पालन, काजी कैम्प में भी दिखे लोग
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भोपालJul 12, 2020 / 09:43 pm

प्रवेंद्र तोमर

जनता कफ्र्यू जैसा सन्नाटा, लॉकडाउन में घरों में ही रही जनता, बरसात के बाद शाम को कुछ लोग निकले

जनता कफ्र्यू जैसा सन्नाटा, लॉकडाउन में घरों में ही रही जनता, बरसात के बाद शाम को कुछ लोग निकले

भोपाल. कोरोना की बढ़ती चेन को रोकने के लिए 22 मार्च के बाद 12 जुलाई को लगाए गए एक दिन के जनता कफ्र्यू का पालन जनता ने किया। गिने चुने लोगों को छोड़ दें तो सभी लोगों ने खुद घरों में रहकर लॉकडाउन का पालन किया। शहर की ज्यादातर सड़कों को सील कर दिया था। रोशनपुरा पर पॉलिटेक्निक और राजभवन की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरीकेटिंग कर पुराने शहर के सम्पर्क को ही काट दिया। अगर कोई पलाश होटल की तरफ से जाना चाहे तो उस रास्ते पर भी बैरीकेटिंग की थी। ज्यादातर वाहन घूम-घूम कर लौट रहे थे, एक एम्बुलेंस भी काफी देर तक वहां भटकी और वापस लौट गई। ठीक इसी प्रकार से अन्य रास्तों पर भी बैरीकेट्स लगाकर जाने वाले लोगों का रास्त रोका गया था। बरसात के बाद शाम को कुछ लोगों ने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका। कोलार में ये स्थिति ज्यादा बनी।

रविवार सुबह पांच बजे से शुरू हुआ कफ्र्यू तो कुछ लोग दुध लेने घरों से निकले, कुछ लोग सुबह जल्दी मॉर्निंग वॉक पर भी गए थे। इसके बाद कुछ लोगों ने गोविंदपुरा क्षेत्र में इंडस्ट्रीयल एरिया में बिना आईडेंटिटी कार्ड के कुछ लोगों ने निकले, सूचना के बाद तहसीलदार मनोज श्रीवास्तव और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर लोगो को समझाकर लोगों को वापस लौटाया। यही हाल एमपी नगर सर्किल, कोलार सर्किल, शहर सर्किल, हुजूर सर्किल में भी बेवजह घूम रहे लोगों को समझाइश देकर लौटाया। कई जगह पुलिस ने धारा-144 के तहत भी कार्रवाई की है।
सड़कों पर फिर मीलों चले लोग

लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने की स्थिति में एक बार फिर से लोग पैदल चलते नजर आए। होशंगाबाद से आए राजेश, बरकतउल्ला विवा के सामने साइकिल ट्रैक पर पैदल ही साथियों के साथ जा रहे थे। जब उनसे पूछा तो बताया कि कोई साधन नहीं होने से वे और उनके साथी पैदल ही स्टेशन तक जा रहे हैं। इसी प्रकार न्यू मार्केट, भदभदा, अवधपुरी, रचना नगर, चेतक ब्रिज, जेपी अस्पातल के आस-पास लोग पैदल जाते दिखाई दिए। ज्यादातर लोग अपने साथ खाना लेकर चल रहे थे।

काजी कैम्प, करोद, मिसरोद के मौहल्लों में चहलकदमी

कोरोना को लेकर तीन माह से ज्यादा का समय हो गया, लाखों लोग इसकी गिरफ्त में आ गए और हजारों को जान चली गई। इसके बाद भी काजी कैम्प, करोद, इरानीडेरा, मिसरोद के मौहल्लों, बागसेवनिया की तंग गलियों में बिना मास्क के चहलकदमी करते देखे गए। कई क्षेत्रों के लोग तो कोरोना को लेकर प्रशासन की सख्ती मानने को तैयार ही नहीं हैं। इसमें सबसे ज्यादा लोग पुराने शहर के हैं।

शहर को कई भागों में बांटा, पुल किए बंद

सुबह से शहर को कई भागों में बांटकर बंद किया गया था। एक सेक्टर का व्यक्ति दूसरे सेक्टर नहीं जा सकता था। सावरकर सेतु को पहले की तरह बंद कर दिया था। कुछ लोगों को लंबा घूमकर वापस लौटना पड़ा। कोलार की तरफ जाने वाले रास्तों को भी बैरीकेट्स लगाकर बंद कर दिया। इधर गोविंदपुरा क्षेत्र के भेल एरिया में भी सुबह से सख्ती दिखाई दी।

फुटपाथ के लोगों को खाने की व्यवस्था नहीं

फुटपाथ पर रहे गरीब लोगों के लिए इस बार खाने की व्यवस्था नगर निगम ने नहीं की थी। जबकि पिछली बार जनता कफ्र्यू के बाद फुटपाथ, अस्पताल में बाहर मौजूद तीमारदारों को नगर निगम ने खाना बंटवाया।

दवा दुकान और कुछ पेट्रोप पंप ही खुले

लॉकडाउन की स्थिति में सुबह सांची दूध पर बिक्री के बाद दवा दुकानें और कुछ पेट्रोल पंप ही खुले बाकी टोटल बंद रहा। सड़क पर एक चाय की दुकान, रेलवे स्टेशनों के बाहर भी पूरी तरह सन्नाटा रहा। बाजार, मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, होटल, मंडी, सब्जी, किराना दुकानें, शराब दुकानों सहित लगभग सभी दुकानें और व्यवसाय बंद रहे।

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