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भोपाल

इस तरीके से सिक्योर्ड जेल की बैरक से बाहर आए थे सिमी आतंकी

सेंट्रल जेल में सिमी के 29 आतंकी बंद थे, इनमे से 8 मार दी गए। अब जेल में 21 सिमी टेररिस्ट और बचे हैं, जिनकी सुरक्षा में महज एक प्रहरी तैनात किया जाता है। 

भोपालNov 01, 2016 / 05:57 pm

Anwar Khan

simi terrorist encounter

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भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी सेंट्रल जेल से फरार हुए सिमी के 8 आतंकी अति सुरक्षित जेल से बाहर तो आ गए, पर जेल की जिस बी बैरक में उन्हें रखा गया था, उसका ताला कैसे खोला गया? ये सवाल अब भी अनसुलझा था, पर अब इसका जवाब मिल गया है।

बैरक की जांच में जेल में कुछ डुप्लीकेट चाबियां मिलीं, जिसने आतंकियों के बैरक से भागने की कहानी को स्पष्ट कर दिया। आइए हम बताते हैं कि आतंकी बैरक खोलकर कैसे भागे…


टूथब्रथ से बनाई थी चाबी
सेल के ताला खोलने आतंकियों ने टूथब्रथ से चाबी बनाई थी। इसी के सहारे आतंकी बारी-बारी से बाहर आ गए। आतंकी भागने के बाद चाबी मौके पर ही फेंककर चले गए थे। पुलिस ने चाबियों से ताले खोले तो आसानी से खुल गए। पुलिस अब अन्य आतंकियों से पूछताछ कर रही कि चाबी जेल में बनाई गई या कि बाहर लाई गई।

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नहीं हो रही थी कैमरों की निगरानी 
आतंकी जिस सेल में कैद हैं वहां कैमरे लगे हैं। बताया गया कि जब रमाशंकर पर आतंकियों ने हमला किया उस दौरान कैमरों के कंट्रोल रूम में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। नतीजतन वे सेल से बाहर निकले और जेल की बाउंड्री लांघकर फरार हो गए। हालांकि जेल प्रबंधन अपनी नाकामी छिपाने चुप्पी साधे हुए हैं।


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29 आतंकी, तैनात था एक जवान
सेंट्रल जेल में सिमी के 29 आतंकी बंद हैं। जिनकी सुरक्षा में महज एक प्रहरी तैनात किया जाता है। रविवार रात आनंदी लाल अकेले ही ड्यूटी पर था। उसके बाद रात दो बजे ज्वाइंट गश्त पर रमाशंकर और चंदन ड्यूटी पर आए। वे भी खण्ड-ब में अकेले ही ड्यूटी करते, लेकिन इसके पहले आतंकियों ने उनकी जान ले ली। बताया गया कि अधिकतर जेल प्रहरी अफसरों के घरों में चाकरी करते हैं।

अफसरों के घर ड्यूटी लगने से रात में स्टाफ बहुत कम रहता है। सूत्रों ने बताया कि करीब 110 कर्मचारियों की हर रोज ड्यूटी अफसरों के घर पर लगती है। इससे जेल की सुरक्षा में तैनात होने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत कम हो जाती है।

जेल की चेकिंग में गायब मिली कई आतंकियों की चादरें
आतंकियों के भागने के बाद उनकी बैरक की जांच गई तो इस दौरान 16 चादरें नहीं मिलीं। बड़ी बात ये कि चादरों की सीढि़यां भी कोई एक ने नहीं बनाई। कई लोगों ने मिलकर बनाई है। जाहिर है यह सुरक्षा में भारी चूक है। इसके अलावा जांच में करीब 130 बरतन कम मिले। बैरक में नशे का सामान मिला है। बरतनों के बारे में शेष आतंकियों से बात की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। जेल में धारदार हथियार जरूर मिला है।


दाढ़ी बनाई, कपड़े भी बदल दिए
अचारपुरा गांव की मडि़याखेड़ी पहाड़ी पर पहुंचकर कपड़े बदले। दाढ़ी बनाई। वे अपने मंसूबों को अंजाम दे पाते, इससे पहले पुलिस ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। आंतकियों का मददगार कौन था, कैसे और किसने की मदद पहुंचाई। उन्हें कपड़े से लेकर अवैध हथियार किसने मुहैया कराए, यह राज बना हुआ है।

पुलिस इस बात की तफ्तीश में जुट गई है। आतंकियों के पास से पुलिस को मुठभेड़ के दौरान जेल के बर्तनों से बनी छुरियां, टूथपेस्ट और लकड़ी से बनी हुई जेल के लॉकर खोलने वाली चाबियां मिली।
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