गौरतलब है कि इन्हें लगाने के लिए प्रशासन ने टेलीकॉम कंपनियों को शहर की महंगी जमीन दी है। स्थापना के समय फुटपाथ व सडक़ें खोदी गईं, जिससे लोग परेशान हुए। मेंटनेंस के नाम पर आज भी खुदाई जारी है।
कंपनी को हर डिजिटल बोर्ड पर विज्ञापन से मिलेंगे 60 हजार रुपए प्रतिमाह
स्मार्ट पोल से राजधानी के लोगों को भले ही गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं न मिलें, लेकिन टेलीकॉम कंपनियां इनसे मोटी कमाई करेंगी। 15 साल के लिए इन्हें ठेका मिला है। कंपनी ने स्मार्ट पोल पर एलईडी लाइट के अलावा कोई सुविधा अब तक आमजन के लिए शुरू नहीं की, लेकिन डिजिटल विज्ञापन बोर्ड टांग दिए हैं। हर बोर्ड के लिए विज्ञापनदाता से प्रतिमाह 60 हजार रुपए चार्ज किया जा रहा है। 400 पोल के हिसाब से ये राशि हर माह करीब ढाई करोड़ होती है।
इसलिए आउटडेटेड
100 स्मार्ट पोल से टेलीकॉम सर्विसेस मिलनी थी। सभी कंपनियों को इनका उपयोग करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
400 स्मार्ट पोल में एलईडी से रोशनी करनी थी, लेकिन अधिकतर के आसपास पहले से हाईमास्ट या स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। 400 पोल पर सर्विलांस कैमरे का दावा, लेकिन पुलिस के अलावा चौराहों, सडक़ों पर हाइरिज्योल्यूशन कैमरे लग चुके हैं।
100 स्मार्ट पोल पर वाईफाई, हॉट स्पॉट शुरू नहीं हुए। जो शुरू हुए वे 52 एमबी डाटा दे रहे हैं। डाटा के लिए मोबाइल कंपनियों के बेहतर ऑफर से इसकी जरूरत नहीं है।100 स्मार्ट पोल पर पर्यावरणीय सेंसर लगाकर प्रदूषण की जानकारी देने का दावा भी पूरा नहीं किया। 100 स्मार्ट पोल पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग पाइंट का काम अब तक नहीं हो पाया।
पर्यावरणीय सेंसर व अन्य सुविधाएं जल्द मिलने लगेंगी
ऐसा नहीं है कि स्मार्ट पोल उपयोगिता खो रहे हैं। सुविधाएं धीरे-धीरे मिलना शुरू हो रही हैं। पर्यावरणीय सेंसर व अन्य सुविधाएं जल्द मिलने लगेंगी। कुछ पोल पर सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं।
संजय कुमार, सीइओ, स्मार्ट सिटी