बिजली से पहले रोशनी की दिलचस्प कहानी बयां करता संग्रह
भोपाल। बार-बार बिजली गुल होने पर कई लोगों के मुंह से लालटेन (लैंप) युग की बात तो सभी ने सुनी होगी लेकिन ये लैंप कभी स्टेटस सिंबल थे। करीब दो सौ सालों में इन्हें कई देशों से भारत लाया गया। ऐसे दो सौ से ज्यादा पुराने लैंप का संग्रह भोपाल के आफताब लईक के पास है जो सालों की मेहनत के बाद इन्होंने बनाया। इससे प्रेरित होकर इनकी बेटी खुशनूर ने इन ऐतिहासिक लालटेन और लैंप पर शोध शुरू किया है। देश में संभवत: ये अपनी तरह का पहला शोध कहा जा रहा है।
बिजली आने से पहले रोशनी के लिए दुनियाभर में कई प्रकार की लालटेन बनीं। जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन आदि देशों में उस दौर में जो लालटेन/लैंप बने उनमें से ज्यादातर का नायाब कलेक्शन आफताब लईक के पास हैं। संग्रह के इस पूरे सफर पर वे एक किताब भी लिख रहे हैं। ये संग्रह अंग्रेजों के उस दौर को याद कराता है जब रोशनी लाने के अलग-अलग तरीकों पर काम हो रहा था।
शोध में खंगाला देशभर का इतिहास खुशनूर ‘ हिस्टोरिकल केरोसिन लैंप ऑफ इन इंडिया 1863 से 1947 ‘ विषय पर शोध कर रही हैं। अपने शोध में इन्होंने देशभर में अलग-अलग पुराने लैंप का इतिहास खंगाला। खुशनूर ने बताया कि रोशनी के लिए इन लैंप का इतिहास रोचक है। शुरुआत में जो लैम्प/लालटेन का इस्तेमाल होता था उनमें व्हेल के तेल या वनस्पति तेल को इस्तेमाल किया जाता था। इससे रोशनी तो होती थी लेकिन धुंआ भी खूब होता था। 1863 में केरोसिन आने के बाद नया ईंधन मिला जो लैंप के लिए उपयुक्त था। तभी से इसमें कई वैरायटी का निर्माण शुरू हो गया। बताया गया लालटेन यानि लैंप उस समय स्टेटस सिंबल भी था। इसका नया वर्जन सबसे पहले धनी लोगों के पास आता था।
विदेश में बनी लालटेन, संस्कृत में अंकित है विवरण विदेश की एक कंपनी डिथ ने भारत के कल्चर को देखते हुए अलग तरह की लालटेन बनाई। विदेश में बनी होने के बाद भी कंपनी ने संस्कृत में इन पर ब्योरा अंकित करवाया। उस समय लालटेन का सबसे ज्यादा उपयोग भारत और अफ्रीका में होता था।
ब्लैक आउट के बाद शुरुआत इस संग्रह के बारे में आफताब बताते हैं कि 1971 में जब भारत-पाक जंग के दौरान ब्लैक आउट हुआ था तब मां ने अपनी पेटी से गोल बत्ती का एक लैंप निकालकर जलाया। इसी से प्रभावित होकर एंटीक लैंप के कलेक्शन की शुरुआत की।
हर जरूरत के मुताबिक डिजाइन, कई कंपनियों लगी थी निर्माण में आफताब के संग्रह में कई नायाब लालटेन/लैंप हैं। इन्हें देखकर पता लगता है कि उस दौर में हर काम के लिए अलग तरह के लैम्प/लालटेन का इस्तेमाल होता था। ठीक उसी तरह जैसे वर्तमान में सभी जगह के लिए अलग तरह की लाइट्स हैं। इमारतों और महलों से लेकर सड़क तक कई वैराइटी के लैम्प तैयार करने में कई कंपनियों ने काम किया।
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