राजनीति में धनबल, बाहुबल के बढऩे से अच्छे और सेवाभावी लोगों की कमी आई है। राजनीति में लोग अब धन कमाने और पावर पाने के लिए आ रहे हैं। सेवाभाव जैसी भावनाएं खत्म होती जा रही हैं। जो राजनीतिक दलों के नेताओं में निरंकुशता और भ्रष्टाचार के रूप में सामने आ रहा है। रविवार को पत्रिका कार्यालय में आयोजित टॉक शो में शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने यह बात कही।
नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है। जरूरी है कि पुन: उच्च मूल्य स्थापित किए जाएं। शिक्षित लोग ही इसे स्थापित कर सक ते हैं। राजनीति में भी इसके लिए मानक तय करने होंगे।
डॉ शशांक शेखर ठाकुर, वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक समाजशास्त्र बीयू
प्रजातंत्र में व्यक्ति व दलीय व्यवस्था होती है। एेसे में सबसे पहले व्यक्ति में सुधार जरूरी है। प्रजातंत्र में राजनीति सेवा का अंतिम व एकमात्र उपाय है इसे जगाए बिना सुधार संभव नही है।
डॉ. एके नायक, सह प्राध्यापक राजनीति शास्त्र
अच्छे राजनेताओं के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल लीडरशिप जैसी संस्थाओं की स्थापना करना चाहिए, जिससे हमें अच्छे लोग मिलें। परिवारवाद, वंशवाद को समाप्त किया जा सके।
डॉ. प्रभात पाण्डेय, अध्यक्ष मध्य प्रदेश पुस्तकालय संघ
आशुतोष पाण्डेय, महामंत्री शिक्षक कांग्रेस
डॉ आनंद शर्मा, प्रांतीय महासचिव प्राध्यापक संघ
डॉ. प्रीति पचौरी, प्रोफेसर इकॉनोमिक्स, नूतन गल्र्स कॉलेज