scriptदुष्यंत कुमार की गजलों से महकी सूफियाना महफिल | Sufiana Mehfil with the ghazals of Dushyant Kumar | Patrika News
भोपाल

दुष्यंत कुमार की गजलों से महकी सूफियाना महफिल

उर्दू अकादमी की ओर से सूफी गजलों की प्रस्तुति

भोपालSep 17, 2021 / 12:23 am

hitesh sharma

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भोपाल। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से महफिल-ए-सूफियाना कार्यक्रम आयोजित किया गया। अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सूफी वाद और उर्दू शायरी का गहरा संबंध रहा है। शायरों ने बेहद कलात्मकता और हुनरमंदी से इसे अभिव्यक्ति दी है और गायकों व कलाकारों ने रूहानी अदायगी प्रदान की है। इसलिए सूफियाना कार्यक्रम अक्सर ही उर्दू अकादमी के आयोजनों का हिस्सा होते हैं। इसी सिलसिले की कड़ी में आज के कार्यक्रम में भोपाल के जुल्फिकार अली और जबलपुर का हलीम ताज कव्वाल गजलों की प्रस्तुति दी।
जुल्फिकार अली ने दुष्यंत कुमार की गजल मरना लगा रहेगा यहां जी तो लीजिए… पेश की। कार्यक्रम को विस्तार देते हुए फैज अहमद फैज की गजल कभी कभी याद में उभरते हैं नक्श-ए-माजी मिटे-मिटे से… पेश की। अगली कड़ी में जफर गोरखपुरी की गजल मैं अकेला चला जा रहा था कहीं मंजिलें अजनबी रहगुजर अजनबी… सुनाई। वहीं, जिगर मुरादाबादी की गजल इश्क की दास्तान है प्यारे, अपनी-अपनी जुबान है प्यारे… गजल पेश की। इसके बाद हलीम ताज कव्वाल का कलाम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका एक नारा है… पेश किया।

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दो अलग विचारधारओं में संघर्ष की कहानी है ‘अंबेडकर और गांधी’
भोपाल। कसौटी बैले एंड परफॉर्मिंग आर्ट की ओर से नाटक ‘अंबेडकर और गांधी’ का मंचन एलबीटी परिसर में किया गया। इसके लेखक राजेश कुमार और डायरेक्टर सुनील राज है। नाटक दो ऐसे विचारों के संघर्ष का दस्तावेज है, जो अलग-अलग विचारधाराओं व मानसिकता को तो दर्शाता है किंतु दोनों के लक्ष्य एक ही हैं। नाटक में दिखाया गया कि अंबेडकर अछूतों को राजनीतिक संरक्षण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की मांग गोल मेज कॉफ्रेंस में रखने के लिए गांधीजी से कहते हैं परंतु गांधीजी यह कहते हुए इंकार कर देते हैं कि इससे हिंदुओं का विभाजन होगा और हर गांव छूत-अछूत में बट जाएगा। यहीं से दोनों में वैचारिक मतभेद शुरू हो जाते है। गांधीजी की हत्या पर अंबेडकर कहते हैं कि किसी के विचारों से असहमत होने का यह मतलब यह नहीं है कि उनकी हत्या कर दी जाए।

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