प्रयत्न एनजीओ के अजय दुबे ओर दिल्ली के सेव टाइगर कैंपेन के सिमरत संधू ने बाघिन टी1 की ओर से याचिका दायर कर इसे न मारने की राहत मांगी थी। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह बाघिन आदमखोर हो गई है, अब तक 13 ग्रामिणों का शिकार कर चुकी है; मंगलवार पर याचिका की सुनवाई के बाद सीजेआई दीपक मिश्रा और जज मदन लोकुर और केएम जोसेफ ने महाराष्ट्र के आदेश को यथावत रखते हुए इसमें दखल देने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के सामने दुबे और संधू के वकीलों ने कहा कि एनटीसीए ने महाराष्ट्र के टाइगर टी 1 के साथ टी 2 को भी मारने के लिए मध्यप्रदेश को हाथी देने को कहा है। वन्य जीव कार्यकर्ताओं के वकील ने कहा कि टी 2 टाइगर तो आदमखोर नहीं है पिफर उसे क्यों मारा जा रहा हैसुप्रीम कोर्ट के सामने दुबे और संधू के वकीलों ने कहा कि एनटीसीए ने महाराष्ट्र के टाइगर टी 1 के साथ टी 2 को भी मारने के लिए मध्यप्रदेश को हाथी देने को कहा है। वन्य जीव कार्यकर्ताओं के वकील ने कहा कि टी 2 टाइगर तो आदमखोर नहीं है पिफर उसे क्यों मारा जा रहा है; इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा टी 2 के लिए आप अलग से याचिका दायर करें।
संभवत: पहली बार कोई वन्य जीव कार्यकर्ता वन्य जीव को बचाने के लिए कोई सुप्रीम कोर्ट तक गया है। प्रयत्न संस्था के दुबे ने बताया कि विकास के नाम पर जंगल काटे जा रहे हैं, जंगलों में शाकाहारी वन्य प्राणी कम होने से भोजन की तलाश में बाघ गांवों में आने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें आदमखोर कहकर मारना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हम महाराष्ट्र के राज्यपाल को ज्ञापन देकर बाघिन को बचाने की भी गुहार करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा टी 2 के लिए आप अलग से याचिका दायर करें।