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भोपाल

भयंकर संक्रमण की चपेट में राजधानी,अस्पताल में पहुंची भीड़ को संभालने बुलानी पड़ी पुलिस

ऐसे में सरकारी और निजी अस्पतालों की अोपीडी में वायरल फीवर और सर्दी-खांसी के रोजाना 2500 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं।

भोपालNov 07, 2017 / 04:39 pm

दीपेश तिवारी

police in hospital
भोपाल। राजधानी में हालात बीमारियों के संक्रमण के चलते नियंत्रण से बाहर होते दिख रहे हैं। जानलेवा बुखार स्वाइन फ्लू, डेंगू के बाद अब वायरल बुखार का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके चलते अस्पतालों में भीड़ उमड़ रही है। वहीं भीड़ इतनी अधिक है कि उसे संभालने के लिए अस्पताल तक को पुलिस का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की, माना जा रहा है कि यहां के 13 बड़े इलाकों में भयंकर संक्रमण फैल चुका है। ऐसे में सरकारी और निजी अस्पतालों की अोपीडी में वायरल फीवर और सर्दी-खांसी के रोजाना 2500 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। अस्पतालों में 2000 से ज्यादा मरीज बुखार के भर्ती हैं। दो दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को हमीदिया की ओपीडी में 2468 मरीज पहुंचे। आईपीडी की संख्या 164 रही।
भीड़ की संख्या को देखते हुए यहां इन्हें संभालने के लिए पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने भीड़ को संभालने के लिए लाठियां भी फटकारीं। कहा जा रहा है कि संक्रमण रोकने के लिए सरकार की तमाम कोशिशें फेल हो गईं हैं। जिसके चलते हालात और अधिक बिगड़ते जा रहे हैं। हमीदया में पहुंचे मरीजों में एक हजार मरीज वायरल फीवर के थे। इनमें से 500 के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। जेपी अस्पताल में भी सुबह से मरीजों की लंबी कतारें दिखाई दीं। यहां बेड फुल होने से कुछ मरीजों को जमीन पर लेटना पड़ रहा है। जेपी अस्पताल अधीक्षक आईके चुघ का कहना है कि सोमवार को अचानक मरीजों की संख्या बढ़ी है। लंबे समय बाद ओपीडी की संख्या 1600 से बढ़कर 2200 पर पहुंच गई।
पैर रखने की जगह नहीं, 11 काउंटर खुले :
हमीदिया की ओपीडी में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए खोले गए 6 काउंटर में सुबह 10.30 बजे तक लंबी-लंबी कतारें लग चुकी थीं। पर्चा बनवाने के लिए सड़क तक मरीज खड़े थे। पहली बार यहां पर 11 काउंटर खोलकर पर्चे बनाए जा रहे थे। भीड़ इतनी थी कि पुलिस को लाइनें ठीक कराने के लिए मोर्चा संभालना पड़ा।
bheed in hospital
ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी:
हमीदिया में लोगों ने गाड़ियां सड़क के आसपास खड़ी कर दी। यहां नई बिल्डिंग के लिए भी काम चल रहा है। ओपीडी के टाइम में मटेरियल लेकर डंपर भी गुजरे। इसी दौरान एक पोकलेन मशीन निकली। इसके चलते अस्पताल की एंट्री गेट पर ट्रैफिक जाम लग गया। करीब 20 मिनट तक लोगों की गाड़ियां जाम में फंसी रही। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर व्यवस्था सुधरवाई।
अस्पताल में थर्ड फ्लोर पर लगाया ताला:
खान शाकिर अली खान अस्पताल में प्रबंधन ने थर्ड फ्लोर में ताला लगा दिया है। अब यहां पर आने वाले मरीजों को इलाज नहीं होने की जानकारी देकर लौटाया जा रहा है। वहीं, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने मॉनिटरिंग कमेटी से की शिकायत में कहा है कि यहां एक-एक पलंग पर दो-दो मरीजों को लिटाया जा रहा है। जेपी के अधीक्षक आईके चुघ के मुताबिक डेंगू और स्वाइन फ्लू से कई गुना ज्यादा मरीज वायरल फीवर के हैं। इसकी वजह तापमान में उतार-चढ़ाव होना है।
जानिये कहां कितने मरीज दर्ज :
1000 – हमीदिया अस्पताल ।
500 – जेपी अस्पताल ।
300 – जवाहरलाल नेहरू गैस राहत ।
100 – खान शाकिर अली गैस राहत ।
100 – काटजू हॉस्पिटल ।
500 – निजी अस्पतालों की ओपीडी।
ये इलाके हैं संक्रमण की चपेट में:
कोलार, सर्वधर्म, चूनाभट्टी, शाहपुरा, त्रिलंगा, अशोका गार्डन, सुभाष नगर, गौतम नगर, साकेत नगर, अवधपुरी, टीटी नगर, करोंद, कोहेफिजा व आसपास के क्षेत्र।

स्वाइन फ्लू से ऐसे करें बचाव :-
– स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान टार्गेट पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं आदि होते हैं।
– अगर घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया हो तो, घर के बाकी लोगों को भी इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह लेकर दवा खा लेनी चाहिए।

– स्वाइन फ्लू से बचाव ही इसे रोकना का सबसे बड़ा उपाय है। आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इसका सबसे बेहतर उपाय है।
– शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढ़ने पर ऐंटी-वायरल दवा टैमी फ्लू और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है। लेकिन इन दवाओं को कभी भी खुद से नहीं लेना चाहिए।
वैसे सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोए, कपूर, लहसुन, ऐलोवियरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है।
दूरी बनाकर रखें: किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। बहुत जरूरत पड़ने पर मास्क का प्रयोग करके ही मरीज के पास जाना चाहिए।
गले न मिलें: अगर किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे हाथ मिलाने और गले मिलने से बचना चाहिए।

टीका लगवाएं: स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाएं। जैसे ही टीका उपलब्ध हो H1N1 संक्रमण से बचाव के लिए यह सबसे बढ़िया रास्ता है।
हाथ साबुन से धोएं: अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकंड तक अच्छी तरह से धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है।
डेंगू से ऐसे करें बचाव :-
कहीं भी खुले में पानी रुकने या जमा न होने दें। साफ पानी भी गंदे पानी जितना ही खतरनाक है। पानी पूरी तरह ढककर रखें। कूलर, बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है में दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल दें। ऐसा करने से उनमें मच्छरों के अंडे डिवेलप नही होंगे।
एसी: अगर विंडो एसी के बाहर वाले हिस्से के नीचे पानी टपकने से रोकने के लिए ट्रे लगी हुई है तो उसे रोज खाली करना न भूलें। उसमें भी ब्लीचिंग पाउडर डाल कर रख सकते हैं।
कूलर: इसका इस्तेमाल बंद कर दें। अगर नहीं कर सकते तो उसका पानी रोज बदलें और उसमें ब्लीचिंग पाउडर या बोरिक एसिड जरूर डालें।
गमले: ये चाहे घर के भीतर हों या बाहर, इनमें पानी जमा न होने दें। गमलों के नीचे रखी ट्रे भी रोज खाली करना न भूलें।
छत: छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें या उलटा करके रखें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करके साफ करने के बाद पानी भरें।
किचन, बाथरूम: सिंक/वॉशबेसिन में भी पानी जमा न होने दें। हफ्ते में एक बार अच्छी तरह से सफाई करें। पानी स्टोर करने के बाद बर्तन पूरी तरह ढक कर रखें। बेहतर तो यह है कि गीले कपड़े से ऐसे बर्तनों को ढकें ताकि मच्छर को जगह न मिले। नहाने के बाद बाथरुम को वाइपर और पंखे की मदद से सुखा दें।
ड्रॉइंगरूम: घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें। डाइनिंग टेबल में सजाने के लिए रखे फूलों या फूलों के बर्तन में पानी रोज बदलें।

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