हमीदिया की ओपीडी में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए खोले गए 6 काउंटर में सुबह 10.30 बजे तक लंबी-लंबी कतारें लग चुकी थीं। पर्चा बनवाने के लिए सड़क तक मरीज खड़े थे। पहली बार यहां पर 11 काउंटर खोलकर पर्चे बनाए जा रहे थे। भीड़ इतनी थी कि पुलिस को लाइनें ठीक कराने के लिए मोर्चा संभालना पड़ा।
हमीदिया में लोगों ने गाड़ियां सड़क के आसपास खड़ी कर दी। यहां नई बिल्डिंग के लिए भी काम चल रहा है। ओपीडी के टाइम में मटेरियल लेकर डंपर भी गुजरे। इसी दौरान एक पोकलेन मशीन निकली। इसके चलते अस्पताल की एंट्री गेट पर ट्रैफिक जाम लग गया। करीब 20 मिनट तक लोगों की गाड़ियां जाम में फंसी रही। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर व्यवस्था सुधरवाई।
खान शाकिर अली खान अस्पताल में प्रबंधन ने थर्ड फ्लोर में ताला लगा दिया है। अब यहां पर आने वाले मरीजों को इलाज नहीं होने की जानकारी देकर लौटाया जा रहा है। वहीं, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने मॉनिटरिंग कमेटी से की शिकायत में कहा है कि यहां एक-एक पलंग पर दो-दो मरीजों को लिटाया जा रहा है। जेपी के अधीक्षक आईके चुघ के मुताबिक डेंगू और स्वाइन फ्लू से कई गुना ज्यादा मरीज वायरल फीवर के हैं। इसकी वजह तापमान में उतार-चढ़ाव होना है।
1000 – हमीदिया अस्पताल ।
500 – जेपी अस्पताल ।
300 – जवाहरलाल नेहरू गैस राहत ।
100 – खान शाकिर अली गैस राहत ।
100 – काटजू हॉस्पिटल ।
500 – निजी अस्पतालों की ओपीडी।
कोलार, सर्वधर्म, चूनाभट्टी, शाहपुरा, त्रिलंगा, अशोका गार्डन, सुभाष नगर, गौतम नगर, साकेत नगर, अवधपुरी, टीटी नगर, करोंद, कोहेफिजा व आसपास के क्षेत्र। स्वाइन फ्लू से ऐसे करें बचाव :-
– स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान टार्गेट पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं आदि होते हैं।
दूरी बनाकर रखें: किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। बहुत जरूरत पड़ने पर मास्क का प्रयोग करके ही मरीज के पास जाना चाहिए।
कहीं भी खुले में पानी रुकने या जमा न होने दें। साफ पानी भी गंदे पानी जितना ही खतरनाक है। पानी पूरी तरह ढककर रखें। कूलर, बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है में दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल दें। ऐसा करने से उनमें मच्छरों के अंडे डिवेलप नही होंगे।
कूलर: इसका इस्तेमाल बंद कर दें। अगर नहीं कर सकते तो उसका पानी रोज बदलें और उसमें ब्लीचिंग पाउडर या बोरिक एसिड जरूर डालें।
गमले: ये चाहे घर के भीतर हों या बाहर, इनमें पानी जमा न होने दें। गमलों के नीचे रखी ट्रे भी रोज खाली करना न भूलें।
छत: छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें या उलटा करके रखें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करके साफ करने के बाद पानी भरें।
किचन, बाथरूम: सिंक/वॉशबेसिन में भी पानी जमा न होने दें। हफ्ते में एक बार अच्छी तरह से सफाई करें। पानी स्टोर करने के बाद बर्तन पूरी तरह ढक कर रखें। बेहतर तो यह है कि गीले कपड़े से ऐसे बर्तनों को ढकें ताकि मच्छर को जगह न मिले। नहाने के बाद बाथरुम को वाइपर और पंखे की मदद से सुखा दें।
ड्रॉइंगरूम: घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें। डाइनिंग टेबल में सजाने के लिए रखे फूलों या फूलों के बर्तन में पानी रोज बदलें।