वन मंत्री सिंघार ने बताया कि प्रदेश के दूरदराज के इलाकों के तेंदूपत्ता संग्राहक ई-पेंमेंट होने से बहुत परेशान थे। संग्राहकों को कई बार 10-15 किलोमीटर का सफर तय कर बैंक तक पहुंचना पड़ता था ग्रामीण इलाकों में अपेक्षाकृत छोटे बैंक हैं, जिनमें राशि कम रहती है।
अक्सर अपना कामकाज छोड़ कर जब शाम तक ये संग्राहक बैंक पहुंचते थे, तो राशि खत्म हो जाने के कारण इन्हें बैरंग लौटना पड़ता था। इससे संग्राहकों में काफी निराशा और हताशा का भाव उत्पन्न हो जाता था।
प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि संग्राहकों को भुगतान के लिए वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अब पहले से ही गांव में जाकर निर्धारित दिन और समय की सूचना दे देंगे। निर्धारित समय पर नोडल ऑफीसर वहाँ जाकर उन्हें नगद भुगतान कर देगा। इससे संग्राहक को कहीं और नहीं जाना पड़ेगा। वन विभाग खुद संग्राहक के पास पहुंचेगा।
मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक तेंदूपत्ता ( डायोसपायरस मेलेनोक्ज़ायलोन की पत्तियॉ) उत्पादक राज्य है। प्रदेश का औसत वार्षिक तेंदूपत्ता उत्पादन लगभग 25 लाख मानक बोरा है जो देश के कुल तेंदूपत्ता वार्षिक उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत है। म.प्र. में तेंदूपत्ता के एक मानक बोरे में 50-50 पत्ते की 1000 गड्डियॉ होती हैं।