कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि हम आज जो भी है, उसमें शिक्षकों के तराशने का बड़ा योगदान है। इसलिए गुरु का पद भगवान से भी बड़ा रखा गया है। राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है यदि शिक्षक साथ देंगे तो नई पीढ़ी का नाम पूरे विश्व में रोशन होगा।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने अपने स्कूल जीवन की घटना को साझा करते हुए अपने गुरुओं को सम्मान दिया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के चलते वे स्कूल के वार्षिकोत्सव में भाग लेने से डरते थे, लेकिन शिक्षिका ने यह बात पकड़ ली। उन्होंने खुद भाषण लिखकर दिया और मुझे तैयारी करके बोलने को कहा, तब न केवल मुझे पहला पुरस्कार मिला बल्कि उस दिन से मेरे आत्मविश्वास में इजाफा हुआ जिसने मुझे करियर बनाने में साथ दिया।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने अपने स्कूल जीवन की घटना को साझा करते हुए अपने गुरुओं को सम्मान दिया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के चलते वे स्कूल के वार्षिकोत्सव में भाग लेने से डरते थे, लेकिन शिक्षिका ने यह बात पकड़ ली। उन्होंने खुद भाषण लिखकर दिया और मुझे तैयारी करके बोलने को कहा, तब न केवल मुझे पहला पुरस्कार मिला बल्कि उस दिन से मेरे आत्मविश्वास में इजाफा हुआ जिसने मुझे करियर बनाने में साथ दिया।
शिक्षकों के सम्मान में फिसली मंत्री की जुबान
स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षकों को सम्मान देने की बात कहते हुए कहा कि- मैं देख रहा था, शिक्षकों के सम्मान के दौरान तालियां कम बज रही थीं, कुछ लोग केवल तालियां बजाने का अभिनय कर रहे थे, जो लोग शिक्षकों के सम्मान में तालियां नहीं बजाएंगे उन्हें अगले जन्म में लोगों के घर-घर जाकर ताली बजाना पडेग़ी। अब बजाओ ताली। मंत्री के कहने पर जब शिक्षकों और उनके परिजनों ने तालियां बजाई तो शाह बोले आपकी तालियों से पता चल रहा है कि कोई अगले जन्म में घर-घर जाकर ताली बजाने वाला नहीं बनना चाहता।
स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षकों को सम्मान देने की बात कहते हुए कहा कि- मैं देख रहा था, शिक्षकों के सम्मान के दौरान तालियां कम बज रही थीं, कुछ लोग केवल तालियां बजाने का अभिनय कर रहे थे, जो लोग शिक्षकों के सम्मान में तालियां नहीं बजाएंगे उन्हें अगले जन्म में लोगों के घर-घर जाकर ताली बजाना पडेग़ी। अब बजाओ ताली। मंत्री के कहने पर जब शिक्षकों और उनके परिजनों ने तालियां बजाई तो शाह बोले आपकी तालियों से पता चल रहा है कि कोई अगले जन्म में घर-घर जाकर ताली बजाने वाला नहीं बनना चाहता।
33 सालों की सेवा के दौरान कई ग्रामीण क्षेत्रों काम करने का मौका मिला। शिक्षा के दौरान नवाचार करते हुए छोटी-छोटी चीजों से रोचक तरीकों से विद्यार्थियों को शिक्षा देने के प्रयोग किए, शाल त्यागी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा आज राज्य स्तर पर मिले सम्मान ने काम करने की नई ऊर्जा प्रदान की है।
डॉ. वंदना मिश्र, प्राचार्य, हमीदिया कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संस्कृत के प्रति विद्यार्थियों को रुझान बढ़े और वे शिक्षा में रुचि लें इसके लिए आधुनिक एवं परंपरागत संस्कृत कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम निर्माण में सहभागिता दी। ऑल इंडिया रेडियो में भी अनेक वार्ताएं, कविताएं तथा परिचर्चाएं प्रसारित की हैं। राज्यपाल के हाथों यह सम्मान मिलना गौरव की बात है।
डॉ. रघुवीर प्रसाद गोस्वामी, प्राचार्य, शासकीय रामानंद, संस्कृत महाविद्यालय, लालघाटी मैने जब स्कूल ज्वाइन किया था, तब पूरा परिसर वीरान पड़ा था, तीन सालों में वहां दर्जनों पेड़ लगाए और आज वहां हरियाली लहलहा रही है। पूर्व विद्यार्थियों को जोडकऱ उन्हें विद्यार्थियों की मदद के लिए तैयार किया, इस प्रयोग के माध्यम से वर्ष में दर्जनों जरूरतमंद बच्चों को सहायता मिल रही है।
घीसा लाल धनगर, सम्मानित शिक्षक