दरअसल करेली का गुड़ अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि इसकी मांग अब देश—प्रदेश की सीमाएं लांघकर दुनियाभर में होने लगी है. यहां का गुड़ बहुत मीठा रहता है. इसके साथ ही अब इसमें अदरक, इलायची सहित कई फ्लेवर भी बनाए जा रहे हैं. दरअसल नरसिंहपुर जिले में अच्छी क्वालिटी के गन्ना होते हैं जिससे ये गुड़ तैयार होता है.
करेली सहित नरसिंहपुर जिले में कई स्थानों पर अब जैविक पद्धति से उत्पादित गन्ना से गुड़ बनाया जा रहा है. इसके साथ ही जैविक गुड़ की कैंडी, जैगरी पाउडर, विनेगर जैसे उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं. हाल ही में भोपाल में आयोजित वन महोत्सव में करेली, गाडरवारा का गुड़ बहुत बिका था.
नरसिंहपुर जिले में करीब 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना होता है। दो दर्जन से ज्यादा किसान करीब 250 एकड़ में जैविक गन्ना उगा रहे हैं जिससे जैविक गुड़ बनाने का काम भी कर रहे हैं। गोलगांव के किसान योगेश कौरव ने जिले में सबसे पहले गुड़ का एक्सपोर्ट लायसेंस भी बनवाया. यहां का गुड़ यूएसए यानि अमेरिका और यूएई तक जा रहा है. श्रीलंका और सिंगापुर में भी इसकी खासी डिमांड है.
न्यू मार्केट के गुड़ विक्रता अनीस अली बताते हैं कि आजकल छोटे छोटे पैकेट की डिमांड है. आधा से लेकर एक किलो तक के गुड़ के पैकेट ज्यादा मांगे जाते हैं. जैविक गुड़ की कीमत सामान्य गुड़ से थोड़ी ज्यादा होती है लेकिन अब इसकी डिमांड ज्यादा होने लगी है. कई लोग रोज गुड़ का सेवन करते हैं और ऐसे लोग महंगा जैविक गुड़ लेने को तैयार रहते हैं।