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क्लास ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, कैमरा बताएगा विद्यार्थी को कितना समझ में आया

छात्रों की भौंहें, आंखें, होंठ, नाक और एक्सप्रेशन देख उसकी अटेंटिवनेस (सचेत) होने का आकलन करेगा कैमरा।

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विकास मिश्रा/इंदौर. शहर के स्कूल-कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों पर कैमरों से और पैनी नजर रखी जाएगी। उनके चेहरों के एक्सप्रेशन (भाव-भंगिमाएं) देखकर पता लगाया जाएगा कि उन्हें पढ़ाया गया विषय कितना समझ में आया, उनका पढ़ाई में मन लग रहा है या नहीं और वे शिक्षक की बातों पर कितना ध्यान दे रहे है। क्लास के बाद विद्यार्थियों की रिपोर्ट शिक्षक को मिलेगी।

यह टेक्नालॉजी इंदौर में तैयार की गई है। इसका उद्देश्य शिक्षा का स्तर सुधारना है। शहर के कुछ बड़े शिक्षण संस्थान आगामी सत्र से यह तकनीक अपनाने जा रहे हैं।


इस तरह जानकारी जुटाएगा कैमरा

1. छात्रों की भौंहें, आंखें, होंठ, नाक और एक्सप्रेशन देख उसकी अटेंटिवनेस (सचेत) होने का आकलन करेगा कैमरा।

2. क्लास के बाद रिपोर्ट देगा। यानी यदि क्लास में 50 विद्यार्थी थे तो बताएगा कि कितनों का ध्यान पढ़ाई पर था।

3. कैमरा जिस सॉफ्टवेयर पर काम करेगा, वह यह आकलन भी करेगा कि कितने विद्यार्थियों को शिक्षक की बात समझ आई। (जैसा सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के प्रमुख भूपेंद्र सिंह ने बताया )

इंदौर में वर्चुअल यूनिवर्सिटी की भी तैयारी

केंद्रीय बजट में मंगलवार को वर्चुअल यूनिवर्सिटी की बात कही गई है, लेकिन इंदौर में करीब डेढ़ साल से इसकी तैयारी की जा रही है। आइटी पार्क-2 में सॉफ्टवेयर कंपनी इंदौर की निजी यूनिवर्सिटी का वर्चुअल प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है। इसमें विद्यार्थियों के एडमिशन से लेकर परीक्षा और परिणाम तक सभी व्यवस्था ऑनलाइन होगी। विद्यार्थियों को कभी भी विवि परिसर में नहीं जाना होगा।

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कोरोना संक्रमण के चलते दो साल में शिक्षा जगत में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। एजुकेशन सेक्टर तेजी से हाई टैक हुआ है। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू तो हुई है, लेकिन बच्चों में अटेंटिवनेस काफी कम दिखी। इससे बच्चों का काफी नुकसान भी हुआ है। नई तकनीक निश्चित रूप से एजुकेशन का स्तर मजबूत करेगी।

- एसएल गर्ग, शिक्षाविद