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प्रदेश में पंचायतों के चुनाव दो चरणों में कराने आयोग ने सरकार के पास भेजा प्रस्ताव

चुनाव आचार संहिता के समय-सीमा में आएगी एक माह की कमी, दो चरणों में चुनाव कराने 19 जिलों के जनपद पंचायतों की सीमाएं आ रही हैं आड़े

भोपालFeb 16, 2019 / 08:07 am

Ashok gautam

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चुनाव

भोपाल। राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों के चुनाव दो चरणों में कराने के संबंध में सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। आयोग ने इसके पीछे ये तर्क दिए हैं कि इस व्यवस्था से चुनाव आचार संहिता की समयावधि में एक माह की कमी आएगी, वहीं प्रत्याशियों के चुनाव व्यय पर भी नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
आयोग ने कहा है कि तीन चरणों में चुनाव होने से आचार संहिता लंबे समय तक लगी रहती है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं। आयोग ने इस विषय पर स्थिति साफ करते हुए सरकार को बताया है कि एक से दूसरे चरण के चुनाव में 3 से 4 दिन का अंतर दिया जाता है, लेकिन 19 जिलों में जनपद पंचायतों की सीमाएं दो से अधिक जिला पंचायतों में शामिल होने से यहां दूसरे चरण के चुनाव कराने में दो हफ्ते का समय दिया जाता है।

आयोग ने सरकार से कहा है कि 19 जिलों के 78 जनपद पंचायतों के साथ ही ग्राम पंचायतों की सीमाएं भी गड़बड़ाई हैं, जिनका भी परिसीमन कराना जरूरी है।

इन जिलों में परिसीमन कराए जाने से 3910 ईवीएम कम लगेगी, इसके साथ ही मतदानकर्मियों की संख्या और खर्च में भी कमी आएगी। आयोग ने सरकार से बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग भी इस बात का ध्यान रखता है कि एक विधानसभा चुनाव की सीमा क्षेत्र दूसरे जिले में शामिल नहीं करता है।
आयोग ने सरकार को बताया पहले पंचायतों में चुनाव वैलेट पेपर से कराए जाते थे, जिससे इस तरह की दिक्कतें नहीं होती थीं। वर्ष 2014 से पंचायतों के चुनाव ईवीएम से कराए जाने लगे हैं, जिससे परिसीमन की विसंगति से तीन चरणों में चुनाव कराने पड़े थे।
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एक साथ होंगे चुनाव परिणाम घोषित
चुनाव आयोग ने सरकार से यह कहा है कि दो चरणों में चुनाव होने से एक साथ चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। क्योंकि सभी जिलों में दो चरणों में चुनाव कराने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
इसके साथ ही पंचायतों के चुनाव परिणाम ग्राम पंचायतों में ही घोषित किए जा सकेंगे। अभी जनपद पंचायत स्तर पर एक साथ में ग्रामपंचायतों के चुनाव परिणाम घोषित किए जाते हैं।
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प्रदेश कांग्रेस से पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने लगाई थी याचिका
प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष अरूण यादव ने वर्ष २०१५ में पंचायतों के चुनाव के दौरान एक याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव परिणाम एक साथ घोषित किए जाएं।
क्योंकि एक चरण के मतगणना परिणाम दूसरे चरण के चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। इस संबंध में चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में ये तर्क दिए थे कि चुनाव प्रक्रिया घोषित हो चुकी है। इसमें परिवर्तन करना अब मुश्किल है। इसके साथ ही 78 जनपद पंचायतों की सीमा दो से अधिक जिला पंचायतों में हैं। जिनमें एक साथ चुनाव कराना जरूरी है।
इसके लिए न तो आयोग के पास तत्काल में ईवीएम की व्यवस्था है और न ही मतदान कर्मियों की उपलब्धता है। ईवीएम में प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्ह सेट करने में समय लगेगा। इसके चलते कोर्ट ने अरुण यादव की आचिका खरिज कर दी थी।
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राज्य निर्वाचन आयोग से कुछ जनपद पंचायतों के सरिसीमन के संबंध में प्रस्ताव आए थे। जिसे शासन और जिला कलेक्टरों के पास भेज दिया गया है। परिसीमन का काम जिलों को करना है। यह काम लोकसभा चुनाव के बाद किया जाएगा।
उर्मिला सुरेन्द्र शुक्ला, कमिश्रर पंचायती राज संचालनालय

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