विश्व शांति के लिए अहिंसा प्रबल मंत्र
मुनिश्री विद्यासागर महाराज ने आशीष वचन में कहा कि अहिंसा परम ब्रह्म है। विश्व का कल्याण अहिंसा से हो सकता है। विश्व शांति के लिए अहिंसा प्रबल मंत्र है। हमें अपने देश की पावन संस्कृति को बचाना है, तो अहिंसा को स्वयं के जीवन का आधार बनाना होगा। जिसमें अहिंसा की भावना, धर्म और देश के प्रति समर्पण का भाव नहीं है, उसे मानव कहे जाने का अधिकार नहीं है। मुनिश्री ने कहा कि किसी भी आयोजन का प्रयोजन मालूम होना चाहिए। जीव-दया और अहिंसा धर्म की रक्षा के लिए साधु चातुर्मास की स्थापना करते हैं। वर्षायोग के आयोजनों के प्रयोजन को हम आत्मसात करें तो अन्दर कुछ आनंद घटित हो सकता है।
मुनिश्री ने कहा कि संत बहती हुई नाव के समान है। आठ माह निरन्तर प्रवाह में रहने के बाद संत चार माह के लिए चातुर्मास करते हैं।
आज से मूक माटी महाकाव्य की वाचना
आचार्यश्री विद्या सागर महाराज द्वारा रचित विश्व प्रसिद्ध मूक माटी महाकाव्य की वाचना बुधवार से मुनिश्री विद्या सागर महाराज चौक जैन धर्मशाला में चातुर्मास के दौरान करेंगे। वाचना सुबह 8:30 बजे से होगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे।
जिनालय में हुए प्रवचन
शाहपुरा स्थित जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे आचार्य निर्भय सागर महाराज ने कहा कि वर्तमान में चारो ओर लोभ, लालच का वातावरण बना हुआ है। पूरी दुनिया धन सम्पदा के पीछे भाग रही है। इस दौरान उन्होंने भगवान महावीर के संदेशों की व्याख्या की।