शहर के किसी बस ऑपेरटर ने अभी तक जीएसटी पोर्टल पर इ-वे बिल जनरेट करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इससे यात्री बसों के माध्यम से पार्सल सर्विस सहित अन्य कई तरह के सामानों की ढुलाई पर रोक लगना तय है। बिना इ-वे बिलिंग के ढुलाई के मामलों पर सख्ती के लिए जीएसटी डिपार्टमेंट ने टीमें बनाकर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
पहले से अवैध, अब जीएसटी के दायरे में
यात्री बसों में यात्रियों के सामान ले जाए जाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है। यात्रियों के सामान की आड़ में बसों की छतों व डिक्की में पार्सल सहित कई तरह के व्यावसायिक सामान ढोए जा रहे थे।
यात्री बसों में यात्रियों के सामान ले जाए जाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है। यात्रियों के सामान की आड़ में बसों की छतों व डिक्की में पार्सल सहित कई तरह के व्यावसायिक सामान ढोए जा रहे थे।
अब सामान ढुलाई के लिए इ-वे बिल जरूरी होगा। बिल जनरेट करने ट्रंासपोर्ट का नाम, वाहन नम्बर, कैटेगिरी डालनी होगी। ऑपरेटर्स को जीएसटी, माल का पक्का बिल और फिर जीएसटी पोर्टल से इ-वे बिल जनरेट करना होगा। तब ही वे एक जिले से दूसरे जिले में जा सकेंगे।
अब तक खुलेआम पार्सल ढुलाई और छतों पर सामान रखकर ले जा रहे ऑपरेटर्स के एेसा नहीं करने पर उनकी बसों के साथ-साथ ढोया जा रहा पूरा सामान जब्त हो जाएगा।
‘बसों से व्यापारियों के सामान ढुलाई से टैक्स चोरी हो रहा था, जो गलत था, इ-वे बिलिंग से अवैध ट्रांसपोर्ट पर सख्ती होगी तो व्यवस्थाएं सुधरेंगी।
– सुरेन्द्र तनवानी, बस ऑपरेटर्स यूनियन
‘बसों से व्यापारियों के सामान ढुलाई से टैक्स चोरी हो रहा था, जो गलत था, इ-वे बिलिंग से अवैध ट्रांसपोर्ट पर सख्ती होगी तो व्यवस्थाएं सुधरेंगी।
– सुरेन्द्र तनवानी, बस ऑपरेटर्स यूनियन
अंतरराज्यीय इ-वे बिल के लिए टीमें पहले से तैनात हैं, अंतर जिला ढुलाई के मामलों में भी इ-वे बिल जरूरी होगा। बसों पर ढुलाई के सम्बंध में जो भी कानून है उसके अनुसार निर्णय लेंगे।’
– प्रदीप दुबे, ज्वाइंट कमिश्नर, जीएसटी