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भोपाल

समाज में अब नहीं बची रिश्तों की अहमियत

शहीद भवन में नाटक जिदंगी के कई रंग रे, चीफ की दावत और लिव इन रिलेशन का मंचन
 

भोपालAug 05, 2018 / 11:34 am

hitesh sharma

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समाज में अब नहीं बची रिश्तों की अहमियत

भोपाल. शहीद भवन में चल रहे नाट्य समारोह जिदंगी के कई रंग रे के अंतर्गत शनिवार को तीन नाटकों का मंचन हुआ। कार्यक्रम में सबसे पहले नाटक इसी बहाने का मंचन हुआ। 15 मिनट के इस नाटक की कहानी पद्मश्री मालती जोशी ने लिखी है। दूसरी प्रस्तुति भीष्म सहानी लिखित और प्रवीण महुवाले के निर्देशन में तैयार नाटक चीफ की दावत की और तीसरी विजय सक्सेना लिखित और अशोक बुलानी निर्देशित नाटक लिव इन रिलेशन का मंचन किया गया समाज के हर वर्ग से जुड़े इन नाटकों में वर्तमान लोगों की खामियों को उजागर किया गया साथ ही नाटक का अंत हैप्पी एंडिंग से हुआ।

 

 

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तेरहवीं के दिन तय होता है रिश्ता
‘इसी बहाने’ में स्वास्तिका चक्रवर्ती ने एकल अभिनय किया है। इसमें किरदार का नाम मालती है। मालती के पति के दोस्त की मौत हो जाती है। मालती रोज उनके परिवार में सांत्वना देने जाती हैं। वहां बैंगलुरू से उसकी बहन भी आ जाती है। वह बहन को पति की मौत पर सांत्वना भी देती है और बेटे के लिए लड़की की तलाश भी करती है। तेरहवीं के दिन वहां लड़की भी परिवार के साथ आती है। यहीं लड़का-लड़की एक-दूसरे को देखते हैं। ये प्रस्तुति नाट्य पाठ रूप में थी। इसके माध्यम से ये मैसेज देने की कोशिश की गई कि समाज इतना संवेदन शून्य हो चुका है कि मातम के माहौल में भी अपना फायदा तलाशता है।

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मां को भी बना दिया फालतू सामान
25 मिनट के नाटक चीफ की दावत भी सोला प्ले है। नाटक में श्यामनाथ की कहानी दिखाई गई। श्यामनाथ को प्रमोशन चाहिए। इसके लिए वह अपने बॉस को घर दावत पर बुलाता है। बॉस के आने से पहले वह घर का सारा फालतू सामान समेटने लगता है ताकि बॉस के सामने अच्छा इम्प्रेशन पड़े। तभी उन्हें मां की याद आती है। दंपत्ती मां को बूढ़ी, बीमार और अनपढ़ समझकर एक कमरे में छिपा देते हैं। जैसे ही बॉस आते हैं उनका ध्यान फुलकारी से सजी चादरों पर जाता है और बॉस पूछते हैं कि यह कढ़ाई किसने की तब अम्मा को बुलाया जाता है जिनसे मिलकर बॉस काफी खुश होते हैं। नाटक में दिखाया गया कि अब सगे रिश्ते भी नफा-नुकसान से तय होते हैं।

 

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लीव इन भी प्रेम का रिश्ता
यह कहानी भोपाल से मुम्बई गईं आभा और शिवानी नामक दो लड़कियों की है जिसमें दोनों एक रूम लेकर मुम्बई में रहती हैं, लेकिन तभी आभा की शादी का रिश्ता आता है और उसे वापिस भोपाल आना है लेकिन शिवानी अब किसके साथ रहे। वहीं दूसरी ओर शिवानी के ऑफिस का कलिग रोहित को मकान मालिक ने घर से निकाल दिया है उसके पास रहने को घर नहीं हैं। शिवानी ओर रोहित एक दूसरे से प्राब्लम शेयर करते हैं और अंत में दोनों साथ साथ रहने का फैसला करते हैं। जिसमें धीरे धीरे दोस्ती प्यार में बदल जाती है और रोहित शिवानी को शादी के लिए प्रपोज करता है और शिवानी हां कर देती है। बस इस तरह से दोनों का लिव इन रिलेशन, ऑल टाइम रिलेशन में बंध जाता है। नाटक में दिखाया गया कि लीव इन सिर्फ शरीर नहीं प्रेम का रिश्ता भी हो सकता है।

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