भक्ति आत्मा के आंगन में श्रद्धा का पोछा है। सेवा भी भक्ति है। गीता सर्वधर्म का संदेश देती है। जो गीता में है वो कुरान में भी है और बाइबल में भी है। यह बात बुधवार को प्रसिद्ध चिंतक और विद्वान प्रोफेसर अजहर हाशमी ने कहीं। उन्होंने भागवत कथा के माध्यम से मनुष्य जीवन पर प्रकाश डाला।
श्रीमद् भागवद् गीता आयोजन समिति द्वारा गीता जयंती के अवसर पर मानस भवन मेंं प्रवचन माला के दूसरे दिन प्रवचनकर्ता प्रोफेसर हाशमी ने भक्तियोग को व्यवहारिक जीवन में उतारने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गीता के सातवें अध्याय से लेकर बारहवें अध्याय तक भक्तियोग का निरूपण है।
भागवत सुनने मात्र से मिलता है ज्ञान इब्राहिमगंज के कालका माता मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। इससे पहले मंगल कलश यात्रा धूमधाम से निकाली गई। कथा वाचन वंृदावन से पधारे पं. आशीष चंद्र शुक्ला कर रहे हैं।
योगक्षेमं: वहाम्यहम कह कर प्रभु स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं तो ‘अनपेक्षेमं शुचिर्दक्ष शब्दों से भक्त की विशेषताएं बता देते हैं। भक्तियोग का सारतत्व यही है कि समर्पण की भावना भक्त में होगी तो भगवान का सामीप्य मिलेगा। व्यवहार में गीता का भक्तियोग यही है कि भक्ति डूब कर करें, न कि ऊब कर। ईश्वर से साक्षात्कार का द्वार समर्पण के गलियारे में खुलता है।
बुधवार की कथा में परम पूज्य व्यास ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व की कथा एवं भक्ति ज्ञान और वैराग्य की व्याख्या विस्तार से की। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। जीव का अहंकार कम होता जाता है। रोजाना आप कुछ देर भागवत सुनेंगे, तो ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाएगा। भागवत कथा के व्यवस्थापक पूरन चौरसिया ने बताया कि कथा छह दिसंबर तक रोजाना दोपहर दो बजे से शाम 6 बजे तक चलेगी। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।