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भोपाल

आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन ने कहा, अपनी पीठ थपथपाने के बजाय मजदूरों की चिंता करे सरकार

– प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार की व्यवस्थाएं नाकाफी- मजदूरों के रोजगार के लिए नीति ही स्पष्ट नहीं- श्रम कानून में बदलाव कर बनाया काला कानून

भोपालMay 22, 2020 / 12:56 am

anil chaudhary

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भोपाल. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ ने प्रवासी मजदूरों की बदहाली और श्रम कानूनों में बदलाव का कड़ा विरोध जताया है। संघ के नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन में सबसे ज्यादा अपमानित और प्रताडि़त मजदूर हुआ है। सरकार अपनी पीठ थपथपाने की बजाय मजदूरों के लौटने और उनके रोजगार की चिंता करे। प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए सरकार की व्यवस्थाएं नाकाफी हैं।
संघ ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर मजदूर लौट रहे हैं, यदि उनको रोजगार नहीं मिला तो समाज में अराजकता फैल जाएगी। मनरेगा और संबल की योजनाओं से रोजगार देना पर्याप्त नहीं है। मजदूर संघ ने हाल ही में हुए श्रम कानूनों में बदलाव को भी वापस लेने की मांग की है। संघ ने इस बदलाव को काला कानून बताया है। इस संबंध में मजदूर संघ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अपना मांगपत्र भेजा है। संघ के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर में इसका विरोध भी किया है।

– काला कानून बदलने तक संघर्ष
भारतीय मजदूर संघमध्य क्षेत्र यानी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के संगठन मंत्री धर्मदास शुक्ला ने कहा कि जब तक श्रम कानून में किए गए बदलाव वापस नहीं लिए जाते, तब तक मजदूर संघ का विरोध जारी रहेगा। प्रदेश में मजदूरों को 12 घंटे काम करना जरूरी किया गया है, इसको मान्य नहीं किया जा सकता। मजदूर से आइ घंटे ही काम लिया जाना चाहिए। 50 साल से अधिक उम्र के मजदूरों को काम न देने के फैसला भी आपत्तिजनक है। अगर उसको रोजगार नहीं दिया जाएगा तो वो कहां जाएगा। शुक्ला ने कहा स्टैंडिंग ऑर्डर 50 मजदूरों की जगह 100 मजदूर कर दिया गया है। औद्योगिक विवाद पहले 100 मजदूरों पर था, अब 300 मजदूर कर दिया गया है। शुक्ला ने कहा कि सरकार करोना क्षतिपूर्ति फंड बनाकर मजदूरों को निश्चित राशि प्रदान करे।
– रोजगार के लिए सरकार के पास नीति नहीं
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री केपी सिंह ने कहा कि मजदूर बड़े पैमाने पर प्रदेश लौट रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इनके रोजगार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। मजदूरों पर दोहरा संकट है। पहला तो उनको वापसी में बहुत दिक्कत हो रही है, खाने-पीने को नहीं मिल रहा। यहां तक कि मजदूरों से मोटा किराया भी वसूला गया है। जो अफसर मजदूरों के समन्वय के लिए नियुक्त किए गए, वे मजदूरों का फोन नहीं उठा रहे। केपी सिंह ने कहा कि हमने मजदूरों के लिए हेल्पलाइन तैयार की है ताकि उनकी मदद की जा सके।

 

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